गुजरात में लोकायुक्त की नियुक्ति सही है या नहीं- गुजरात हाईकोर्ट में इस बात पर फैसला नही हो पाया. दो जजों की बेंच में फैसले को लेकर एकराय नहीं बन पाई.
नरेंद्र मोदी को गुजरात में लोकायुक्त की नियुक्ति के मामले में फिलहाल राहत नहीं मिली है. गुजरात हाईकोर्ट के दो जजों की बेंच में इस बात पर फैसला नहीं हो पाया कि लोकायुक्त की नियुक्ति सही थी या गलत.
गुजरात उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अकील कुरैशी ने राज्यपाल द्वारा लोकायुक्त की नियुक्ति को बरकरार रखा वहीं खंडपीठ में शामिल एक और न्यायाधीश न्यायमूर्ति सोनिया गोकाणी ने न्यायमूर्ति कुरैशी के फैसले से असहमति जताई.
पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब गुजरात की राज्यपाल डॉ कमला बेनीवाल ने बिना नरेंद्र मोदी की सलाह लिए लोकायुक्त की नियुक्ति कर दी.
25 अगस्त 2011 को राज्यपाल ने गुजरात का लोकायुक्त नियुक्त किया. रिटायर्ड जज आरए मेहता लोकायुक्त नियुक्त किए गए. इसके बाद गुजरात सरकार ने राज्यपाल के फैसले का विरोध किया. और राज्य सरकार ने नियुक्ति को अंसैवधानिक करार दिया. सरकार ने राज्यपाल के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी. इसके बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को पक्षकार बनाने से मना कर दिया.
लोकायुक्त की नियुक्ति का मामले नरेंद्र मोदी के लिए बड़ा सवाल बना हुआ है. देखने वाली बात होगी कि अदालत क्या फैसला सुनाती है.