गुजरात दंगे में राज्य के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को फंसाने के लिये कथित रूप से मनगढंत सबूत बनाने के आरोप में जेल में बंद गुजरात के निलंबित आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट ने जमानत पर रिहा होने के बाद अपने जेल में रहने को विश्रामकाल करार दिया और कहा कि कानून के शासन की जीत हुई.
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रिहाई के बाद साबरमती केंद्रीय जेल के बाहर भट्ट ने संवाददाताओं से कहा कि मैं इस बात से बेहद खुश हूं कि कानून के शासन की जीत हुई है. यह राज्य प्रायोजित दंगों के पीडितों के लिये एक जीत है. मेरा जेल में रहना विश्रामकाल की तरह है. मैं अपने उद्देश्य के लिये अभी भी दृढ प्रतिज्ञ हूं. उद्देश्य मेरे से कहीं बड़ा है.
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गत 30 सितंबर को पुलिस द्वारा उनके साथ किये गये कथित र्दुव्यवहार पर भट्ट ने कहा कि मैं इस बारे में तब तक नहीं कहूंगा जब तक कि सही समय और उचित मंच नहीं मिलता. उन्होंने कहा कि वह गुजरात आईपीएस अधिकारियों के संघ और अपने परिवार के समर्थन के शुक्रगुजार हैं.
भट्ट का उनके मेमनानगर स्थित आवास पर पत्नी श्वेता भट्ट और दो बच्चों तथा परिवार के अन्य सदस्यों ने उनका भावुक अंदाज में स्वागत किया.