अहमदाबाद मेट्रोपोलिटन कोर्ट ने गुलबर्ग सोसाइटी दंगा केस से संबंधित SIT रिपोर्ट की कॉपी जाकिया जाफरी को देने का आदेश दिया है. कोर्ट ने आदेश दिया है कि जाकिया को यह रिपोर्ट 30 दिन के अंदर दी जानी चाहिए. गौरतलब है कि मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट एम एस भट्ट ने 27 मार्च को जाकिया के अनुरोध पर अपना फैसला सुरक्षा रख लिया था.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल को 2002 के गुजरात दंगों के मामले में जाकिया जाफरी की ओर से दाखिल शिकायत में मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी तथा 57 अन्य आरोपियों के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिला है.
अदालत ने दिवंगत कांग्रेसी सांसद एहसान जाफरी की विधवा जाकिया को सभी संबंधित दस्तावेजों और रिपोर्ट की प्रतियां 30 दिन के भीतर दिये जाने के लिए भी कहा. सांसद जाफरी की गुलबर्ग सोसायटी दंगे के दौरान मौत हो गयी थी.
मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट एमएस भट्ट ने विशेष जांच दल (एसआईटी) की रिपोर्ट की प्रति मांगने वाली याचिकाओं पर अपने आदेश में कहा कि जांचकर्ताओं ने एक क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की है और उन्हें जाकिया की शिकायत में दर्ज किसी आरोपी के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिला है. शिकायत में आरोपियों की सूची में मोदी का नाम सबसे ऊपर था.
अदालत ने कहा, ‘एसआईटी के मुताबिक जाकिया की शिकायत में दर्ज 58 लोगों में से किसी के खिलाफ कोई अपराध साबित नहीं हुआ है.’ अदालत ने कहा, ‘इसलिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश तथा प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के अनुसार फरियादी को रिपोर्ट तथा संबंधित दस्तावेजों की प्रति दी जानी है.’ उन्होंने कहा कि जाकिया को कोई नोटिस देने की जरूरत नहीं क्योंकि उन्होंने पहले ही अदालत से रिपोर्ट की प्रति के लिए गुहार लगाई है.
उधर बीजेपी ने विशेष जांच दल (एसआईटी) की रिपोर्ट पर संतोष जताया. बीजेपी ने कहा, इससे साबित हो गया है कि गढ़े गए सुबूत सच नहीं होते. बीजेपी के मुख्य प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने यहां कहा, ‘मीडिया की खबरों के अनुसार एसआईटी ने मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत को पेश अपनी रिपोर्ट में कहा है कि गुजरात दंगों को लेकर वहां के मुख्यमंत्री के विरुद्ध कोई सुबूत नहीं मिले हैं.
उन्होंने कहा कि दंगों में गुलबर्ग सोसायटी नरसंहार में मारे गए कांग्रेस के पूर्व सांसद अहसान जाफरी की पत्नी ज़किया जाफरी की शिकायत पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर एसआईटी का गठन किया गया था. लेकिन मीडिया खबरों के अनुसार एसआईटी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के खिलाफ दंगों के संबंध में मुकद्दमा चलाने लायक कोई सुबूत नहीं पाया है.
प्रसाद ने कहा, ‘अगर मीडिया की ये रिपोर्ट सही है तो हमें बहुत संतोष है. मोदी को फंसाने के लिए पिछले दस साल से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस और कुछ संगठनों द्वारा कुप्रचार चलाया जा रहा था. लेकिन अब साबित हो गया है कि गढ़े गए सुबूत सच नहीं होते.’ दंगों को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए उन्होंने कहा कि दोषियों को सज़ा मिलनी चाहिए, लेकिन दंगों को नरेन्द्र मोदी के खिलाफ कुप्रचार का हथियार बनाना सर्वथा अनुचित है.
इस सवाल पर कि एसआईटी की रिपोर्ट के बाद क्या मोदी बीजेपी की ओर से प्रधानमंत्री पद के प्रबल उम्मीदवारों में शामिल हो गए हैं, उन्होंने कहा कि इस बात में कोई शक नहीं है कि मोदी भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं और प्रदेश तथा राष्ट्रीय दोनों स्तर पर उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी.