scorecardresearch
 

सपा की छवि बदलने में नाकाम अखिलेश

विधानसभा चुनाव से पहले डी.पी. यादव और मुख्तार अंसारी जैसे आपराधिक छवि वाले नेताओं को समाजवादी पार्टी (सपा) में शामिल न करने जैसे फैसलों से पार्टी की पराम्परागत आपराधिक छवि में बदलाव की उम्मीद जगाने वाले अखिलेश यादव अब तक इसमें नाकाम साबित हुए हैं.

Advertisement
X
अखिलेश यादव
अखिलेश यादव

Advertisement

विधानसभा चुनाव से पहले डी.पी. यादव और मुख्तार अंसारी जैसे आपराधिक छवि वाले नेताओं को समाजवादी पार्टी (सपा) में शामिल न करने जैसे फैसलों से पार्टी की पराम्परागत आपराधिक छवि में बदलाव की उम्मीद जगाने वाले अखिलेश यादव अब तक इसमें नाकाम साबित हुए हैं.

सपा के सत्ता में आने के दिन से ही पार्टी के कार्यकर्ता, विधायक और मंत्री लगातार कानून-व्यवस्था को ठेंगा दिखा रहे हैं. कानून-व्यवस्था दुरुस्त करना मुख्यमंत्री अखिलेश के लिए चुनौती बन गया है. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा, 'विधानसभा चुनाव के दौरान समाजवादी क्रांति रथ यात्रा के दौरान अखिलेश ने जनता से वादा किया था कि वह सपा की परम्परागत आपराधिक और गुंडा छवि को बदलेंगे, लेकिन सत्ता में आने के बाद आए दिन उनकी ही पार्टी के लोग कानून तोड़कर उन्हें बेचारा साबित कर रहे हैं.'

Advertisement

गोंडा में सीएमओ का अपहरण
ताजा मामला गोंडा जिले का है, जहां स्थानीय विधायक एवं राज्यमंत्री विनोद सिंह उर्फ पंडित सिंह पर आरोप लगा कि उन्होंने आधी रात मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) एस.पी. सिंह को अगवा कर उनके साथ दुर्व्यवहार किया. मंत्री जी सीएमओ पर स्वास्थ्य विभाग में होने वाली नियुक्तियों में उनके चहेतों को स्थान न दिए जाने से नाराज थे. मंत्री के डर से सीएमओ ने लखनऊ भागकर शरण ली.

अखिलेश की कार्यशैली पर उठ रहे सवाल
मामला मीडिया में आने के तीन दिन बाद मुख्यमंत्री ने आरोपी मंत्री का इस्तीफा तो ले लिया, लेकिन अब तक मंत्री के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई है. मुख्यमंत्री द्वारा आरोपी मंत्री के खिलाफ कठोर कार्रवाई न करने से उनकी कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं. कांग्रेस की उत्तर प्रदेश इकाई के प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह ने कहा, 'मुख्यमंत्री आरोपी मंत्री को गिरफ्तार करवाकर पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को एक संदेश दे सकते थे. लेकिन ऐसा नहीं हुआ और केवल इस्तीफा दिलाकर मामले को ठंडा करने की कोशिश की गई.' सिंह ने कहा, 'असल में सपा का शीर्ष नेतृत्व ही क्रिमिनल फ्रेंडली है. इसलिए मुख्यमंत्री चाहकर भी अपनी पार्टी के नेताओं के खिलाफ कोई कड़ा फैसला नहीं ले सकते हैं. वह मजबूर हैं.'

अखिलेश के नरम रवैये को लेकर लोगों में निराशा
जानकारों का मानना है कि अखिलेश बतौर मुख्यमंत्री स्वतंत्र रूप से फैसले नहीं ले पा रहे हैं. गोंडा प्रकरण के बाद सरकार को निष्पक्ष तरीके से कोई त्वरित फैसला लेना चाहिए था. आरोपी मंत्री के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने के बजाय सरकार ने गोंडा के सारे प्रशासिनक अफसरों को ही हटा दिया. इससे अफसरों का मनोबल कम ही होगा. सामाजिक चिंतक एच.एन.दीक्षित कहते हैं, 'इसमें कोई दो राय नहीं है कि विधानसभा चुनाव में सपा के चुनाव प्रचार की कमान संभालने वाले अखिलेश यादव पर जनता ने भरोसा करके सपा को जिताया. लेकिन सपा नेताओं की आए दिन सामने आ रही अराजक गतिविधियों पर सरकार और मुख्यमंत्री अखिलेश के नरम रवैये को लेकर लोगों में निराशा है.'

Advertisement
Advertisement