गुड़गांव के NGO 'सुपर्णा का आंगन' में नाबालिग लड़कियों के साथ यौन उत्पीड़न का मामला सामने आने के बाद पैरेंट्स की चिंता बढ़ गई है.
अब अभिभावक अपने बच्चों को इस एनजीओ में नहीं रखना चाहते हैं. इस बीच गुडगांव पुलिस ने सभी पुलिस स्टेशनों में प्रोटेक्शन आधिकारी नियुक्त किये हैं, जो शहर में मौजूद सभी एनजीओ पर नजर रखेंगे.
गुड़गांव में 'सुपर्णा का आंगन' नाम के NGO से नाता जोड़ने वाली जुबैदा विकलांग है. जुबैदा के तीन बच्चे हैं, जिनमें दो लडकियां और एक लड़का है. पति मजदूरी करता है. बच्चों के सपनों को पूरा करने के लिए जुबैदा ने इस NGO का दामान थामा, ताकि आर्थिक तंगी के चलते उसके बच्चे पढ़ने से महरूम न रह जायें, लेकिन अब जुबैदा चिंतित है.
जिस आंगन में वह अपने बच्चों को महफूज समझ छोड़कर गई थी, वही सुपर्णा का आंगन अब बदनाम हो चुका है. अपने बच्चों को वापस अपने साथ ले जाने के लिए सिर्फ जुबैदा ही नहीं, बल्कि और भी बच्चों के मां-बाप पहुचे रहे हैं.
दरअसल 4 मई, 2012 को इस NGO के उस काले कारनामे का पर्दाफाश हुआ था, जिसने पूरे देश को झकझोर दिया था. NGO का केयरटेकर यहां रहने वाली मासूम नाबालिग लड़कियों की अस्मत कई सालों से तार-तार कर रहा था. इस मामले के बाद जिला प्रसाशन और पुलिस हरकत में आ गई है और प्रोटेक्शन अधिकारी नियुक्त करने की बात कह रही है.
लेकिन, इस सब के बीच अनेक माता-पिताओं के दर्द और दिल में घर कर चुके डर को कम करना आसान नहीं होगा.