भारत और दक्षिण अफ्रीका 19 साल बाद एक बार फिर ग्वालियर के उसी रूपसिंह स्टेडियम में आमने-सामने होंगे जहां का मैदान भारत के लिये भाग्यशाली साबित हुआ है.
तीन मैचों की एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय श्रृंखला का दूसरा मैच 24 फरवरी को यहां खेला जाएगा. इससे पहले 12 नवम्बर 1991 को दोनों टीमों के बीच खेले गये 45 ओवर के मैच में भारत ने दक्षिण अफ्रीका को 38 रनों से पराजित किया था. उस मैच के भारतीय क्रिकेटरों में से केवल सचिव तेंदुलकर 24 फरवरी को होने जा रहे मैच में अपने जौहर दिखाते नजर आएंगे. वर्ष 1991 के मैच में हालांकि सचिन अपनी आज की शोहरत के मुताबिक प्रदर्शन नही कर पाए थे और केवल चार रन बनाकर आउट हो गये थे.
सचिन यहां अब तक आठ वनडे खेल चुके हैं. इस मैच की एक खासियत यह भी होगी कि दक्षिण अफ्रीका की टीम के तब के धुरंधर बल्लेबाज पीएन कर्सटन के भाई गैरी कर्सटन आज टीम इंडिया के कोच हैं और तत्कालीन कप्तान के. वैसल्स आज की दक्षिण अफ्रीका टीम के साथ कोच की हैसियत से आए हैं. वर्ष 1991 के मैच में वैसल्स ने 71 रन बनाए थे और मैच हारने के बावजूद उन्हें ‘मैन आफ द मैच’ चुना गया था. तब भारत की और से के. श्रीकांत ने 68 रन, नवजोत सिंह सिद्धू ने 61 रन और संजय मांजरेकर ने 52 रन (नाबाद) बना कर अर्धशतकीय पारियां खेलीं थी.
यह भी एक संयोग था कि 12 नवम्बर 1991 का अंतरराष्ट्रीय मैच तब की सीरीज का दूसरा वन डे मैच था. कैप्टन रूपसिंह स्टेडियम पर अब तक 11 अंतरराष्ट्रीय मैच हो चुके हैं और 24 फरवरी को 12वां मैच होगा. अब तक के 11 मैचों में से नौ में भारत शामिल रहा है. उसका इस मैदान पर रिकॉर्ड बहुत अच्छा रहा है. उसने नौ में से सात मैच जीते हैं. टीम इंडिया यहां चार मार्च 1993 और पांच मार्च 1993 के मैचों में इंग्लैंड और 21 फरवरी 1996 के मैच में वेस्टइंडीज को हराकर जीत की हैट्रिक बना चुकी है.
हैट्रिक का यह सिलसिला उसने 1991 में न्यूजीलैंड, 1993 में आस्ट्रेलिया और 2007 में पाकिस्तान को हराकर कायम रखा है. इन आंकड़ों को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि ग्वालियर का रूपसिंह स्टेडियम टीम इंडिया के लिए अब तक भाग्यशाली रहा है. 15 नवम्बर 2007 के मैच में उसने पाकिस्तान को छह विकेट से करारी मात दी थी लेकिन 28 मई 1998 को केन्या जैसी कमजोर टीम के हाथों टीम इंडिया की यहां 69 रनों से हुई पराजय को भारतीय क्रिकेट टीम सपने में भी नहीं भुला पायी.
रूपसिंह स्टेडियम रनों के लिए स्वर्ग कहा जा सकता है. यह बल्लेबाजों के लिए अभी तक सहायक सिद्ध हुआ है. 1997 में पाकिस्तान और श्रीलंका के बीच हुए एशियाई कप के मैच में 99.5 ओवर्स में 548 रन बने थे. इसी तरह भारत विरुद्ध इंग्लैंड मैच में 532, भारत विरुद्ध आस्ट्रेलिया मैच में 529, और भारत विरुद्ध पाकिस्तान मैच में 515 रनों के अंबार लगे थे.