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कसाब की फांसी पर लगी बंबई हाई कोर्ट की मुहर

मुम्बई हमलों का दोषी पाकिस्तानी आतंकवादी आमिर अजमल कसाब की फांसी की सजा को बंबई उच्च न्यायालय ने बरकरार रखा है.

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आमिर अजमल कसाब
आमिर अजमल कसाब

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बंबई उच्च न्यायालय ने मुंबई हमलों के आरोपी आतंकवादी आमिर अजमल कसाब को दी गई मौत की सजा को कायम रखा है.

अदालत ने इस मामले को ‘दुर्लभ में से भी दुर्लभतम’ की श्रेणी में रखते हुए कहा कि दोषी में ‘सुधार आने की कोई गुंजाइश’ नहीं है.

न्यायमूर्ति रंजना देसाई और न्यायमूर्ति आर वी मोरे की खंडपीठ ने कसाब की मौत की सजा को कायम रखते हुए कहा, ‘दोषी ठहराए गए आरोपी में सुधार आने या उसके पुनर्वास की कोई गुंजाइश ही नहीं है. यह दुर्लभ में से भी दुर्लभतम मामला है और अदालत को आज इस बात का पूरा विश्वास है कि मौत की सजा दी ही जानी चाहिए.’ कसाब सफेद कुर्ता पहने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत में पेश हुआ.

न्यायमूर्ति रंजना ने कसाब से कहा, ‘आपको सजा-ए-मौत यह अदालत बरकरार करती है. आप सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकते हैं.’ अदालत ने सभी आरोपों पर कसाब को दोषी ठहराया जाना कायम रखा. इन आरोपों में कई लोगों की हत्या, साजिश और देश के खिलाफ जंग छेड़ना भी शामिल है. निचली अदालत ने पिछले साल छह मई को कसाब को मौत की सजा सुनाई थी.{mospagebreak}

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अदालत ने हालांकि मुंबई हमलों के मामले में दो आरोपियों, फहीम अंसारी और सबाउद्दीन अहमद को बरी करने के निचली अदालत के फैसले के खिलाफ दायर महाराष्ट्र सरकार की याचिका को खारिज कर दिया.

फैसले में कहा गया है, ‘हम निचली अदालत के इस विचार को मानते हैं कि मामले में फहीम अंसारी और सबाउद्दीन अहमद की भूमिका साबित करने के लिए सबूत नहीं हैं.’

न्यायमूर्ति रंजना ने पीठ का फैसला पढ़ते हुए कहा, ‘‘कसाब ने अपनी गिरफ्तारी के बाद किसी तरह का पश्चाताप जाहिर नहीं किया और हमने देखा कि उसने वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान भी खुद में सुधार लाने का कोई संकेत नहीं दिया.’

अदालत ने कहा, ‘कुछ मामलों में मौत की सजा जैसी कड़ी सजा देने की जरूरत होती है, खास तौर पर ऐसे मामलों में. अदालत अगर मौत से कम किसी तरह की सजा देगी, तो इससे समाज में गलत संदेश पहुंचेगा.’

हमलों के दौरान पुलिसकर्मियों की शहादत को याद करते हुए अदालत ने कहा, ‘हमलों के दौरान कई बहादुर पुलिसकर्मी मारे गए थे और अगर हम उनके बलिदान को स्वीकार नहीं करेंगे तो इसका मतलब हम अपने कत्र्तव्य के पालन में चूक रहे हैं.’ लश्कर के कार्यकर्ता कसाब को 26 नवंबर, 2008 को गिरगांव चौपाटी से जीवित पकड़ा गया था. उसके बाद से वह जेल में बंद है.{mospagebreak}

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सुरक्षा बलों ने कराची से कसाब के साथ आए शेष नौ आतंकवादियो को मार गिराया था.

सरकारी वकील उज्ज्वल निकम ने अदालत में हमलों के दौरान की कई ऐसी तस्वीरें और सीसीटीवी फुटेज पेश किए, जिनमें कसाब का इस हमले में शामिल होना प्रदर्शित हो रहा था. कसाब ने इन तस्वीरों पर कहा कि इन्हें बदल दिया गया है और उसका चेहरा स्पष्ट नहीं दिख रहा है.

कसाब ने इसके पहले 26/11 हमलों में अपनी भूमिका स्वीकार करते हुए मजिस्ट्रेट के सामने बयान दिया था, अभियोजन ने उसके इस इकबालिया बयान को भी ध्यान में रखा.

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