इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार और नोएडा प्राधिकारण से कहा कि वे गौतम बुद्ध नगर जिले के सैंकड़ों किसानों द्वारा दायर याचिकाओं पर जवाबी हलफनामा दायर करें. किसानों ने ग्रेटर नोएडा और नोएडा एक्सटेंशन में विकास के लिए तीन हजार हेक्टेयर से अधिक भूमि के अधिग्रहण को चुनौती दी है.
किसानों द्वारा दायर 491 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति अशोक भूषण एसयू खान और वीके शुक्ला की पूर्ण पीठ ने मामले में सुनवाई की अगली तारीख 12 सितंबर तय कर दी.
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार ने ‘अत्यावश्यक धारा’ लगाकर उनकी जमीन का अधिग्रहण किया जिससे वे आपित्त उठाने और पर्याप्त मुआवजे के लिए सौदेबाजी करने के अवसर से वंचित हो गए.
उन्होंने कहा कि बाद में जमीन आवासीय परिसर बनाने के लिए प्राइवेट बिल्डरों को बेच दी गई जबकि अधिग्रहण ग्रेटर नोएडा और नोएडा एक्सटेंशन के ‘योजनाबद्ध औद्योगिक विकास’ के नाम पर किया गया था.
इसके अतिरिक्त बहुत से बिल्डरों और फ्लैट क्रेताओं ने भी आवेदन दायर कर अनुरोध किया कि मामले में उन्हें भी पक्ष बनाया जाए क्योंकि इस मामले में आने वाले किसी भी आदेश का असर उन पर पड़ने की संभावना है.
अदालत ने हालांकि इन आवेदनों पर कोई आदेश पारित नहीं किया. इसने कहा कि अधिग्रहित भूमि के सभी आवंटी अगली सुनवाई की तारीख तक अपने हलफनामे दायर करने के लिए स्वतंत्र हैं.
अदालत ने यह भी कहा कि 12 सितंबर से यह पहले ही दायर की जा चुकी 491 याचिकाओं पर सुनवाई शुरू करेगी और मामले से संबंधित नयी याचिकाओं को अलग रखकर उन पर अलग से सुनवाई की जाएगी ताकि अन्य याचिकाओं पर फैसले में देरी नहीं हो.
गौतम बुद्ध नगर जिले के नाराज किसान तभी से उच्च न्यायालय आ रहे हैं, जब इसने शाहबेरी गांव में 150 हेक्टेयर से अधिक भूमि का अधिग्रहण रद्द कर दिया और बाद में इस फैसले को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की अपील को उच्चतम न्यायालय ने खारिज कर दिया.