जिन लोगों ने नोएडा एक्सटेंशन में घर बुक कराया है, टेंशन उनका पीछा नहीं छोड़ रहा है. आज फिर कई लोगों की सांसे कोर्ट के फैसले पर अटकी रही, क्योंकि आज भी दो गांवों के किसानों की अर्ज़ी, इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनी गयी.
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के बाद रौजा याकूबपुर मामले की अगली सुनवाई की तारीख 26 जुलाई मुकर्रर की है.
नोएडा एक्सटेंशन पर जैसे-जैसे कोर्ट की गाज़ गिर रही है, किसानों की ख़ुशियां बढ़ती जा रही हैं. आज जिन दो गांवों के किसानों फरियाद सुनी गई वो हैं- रौज़ा याकूबपुर और बिसरख जलालपुर.
दो गांवों की 1077 एकड़ ज़मीन पर कोर्ट के फैसले से फिर कई बिल्डरों और मकान ख़रीदने वाले हज़ारों लोगों को झटका लग सकता है.
रौज़ा याकूबपुर की 468 एकड़ और बिसरख जलालपुर की 609 एकड़ ज़मीन का मामला है. दोनों गांवों के 81 किसानों ने ज़मीन अधिग्रहण के ख़िलाफ़ गुहार लगाई है.
इन मामलों में भी किसानों ने ज़मीन अधिग्रहण में नियमों की अनदेखी को आधार बनाया है, और कहा है कि अर्जेंसी क्लॉज के दम पर उनकी ज़मीनें हड़प ली गईं और उन्हें बिल्डरों को ऊंचे दाम पर बेच दिया गया.
अगर रोज़ा याकूबपुर और बिसरख जलालपुर गांवों की ज़मीन का अधिग्रहण रद्द हुआ तो आम्रपाली, सुपरटेक और गौर ऐंड संस के कई प्रोजेक्ट खटाई में पड़ सकते हैं.
नोएडा और ग्रेटर नोएडा में ज़मीन अधिग्रहण पर कोर्ट का रुख़ अभी तक किसानों के साथ रहा है.
गौरतलब है कि 19 जुलाई को भी दो गांवों के मामले में फ़ैसला किसानों के हक़ में आया, लेकिन इस फ़ैसले ने कई बिल्डरों और हज़ारों निवेशकों की नींद उड़ा दी.
सबसे पहले मामला शाहबेरी गांव का आया था जिसमें कई निवेशकों के पैसे फंसे हुए हैं.