नोएडा एक्सटेंशन की तकदीर आज तय हो सकती है. इलाहाबाद हाईकोर्ट आज नोएडा एक्सटेंशन की उस जमीन पर फैसला सुना सकता है- जिसका 2007 से 2010 के बीच अधिग्रहण किया गया था. इस मामले में कोर्ट में 200 याचिकाओं पर सुनवाई होनी है.
पढ़ें कौन-कौन से गांव हैं प्रभावित
नोएडा एक्सटेंशन के निवेशकों के सपनों का घर बनेगा या नहीं इसका फैसला आज होना है. इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर हजारों निवेशकों सैकड़ों किसानों और दर्जनों बिल्डर्स की निगाहें टिकी हैं.
कोर्ट में नोएडा एक्सटेंशन की 3हजार हेक्टेयर जमीन के अधिग्रहण पर सुनवाई होगी. इसमें गांव बिसरख जलालपुर की 608 हेक्टेयर जमीन, रौजा याकूबपुर गांव की 468 हेक्टेयर जमीन, गांव घोड़ी बछेड़ा की 581 हेक्टेयर जमीन और इतेड़ा गांव की 250 हेक्टेयर जमीन पर सुनवाई होनी है.
देखें क्यों टेंशन बना है नोएडा एक्सटेंशन
जबकि गांव घंगोला की 258 हेक्टेयर जमीन, हैबतपुर गांव की 240 हेक्टेयर जमीन, देवला गांव की 107 हेक्टेयर जमीन और पटवारी गांव की कुछ जमीन के अधिग्रहण पर भी सुनवाई होगी.
साथ ही नोएडा में लगने वाले तीन गांव सलारपुर खादर की 206 हेक्टेयर, कोंडली बांगर गांव की 194 हेक्टेयर और बादौली बांगर गांव की 152 हेक्टेयर जमीन के अधिग्रहण पर भी सुनवाई होगी.
नोएडा एक्सटेंशन: किसान मस्त, निवेशक पस्त
इस बीच, ग्रेटर नोएडा के दो और गांव तुलसियाना और चौगानपुर के किसानों भी अधिग्रहण के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंच गए हैं. इससे पहले नोएडा एक्सटेंशन में जमीन के अधिग्रहण को हाईकोर्ट ने गलत बताते हुए 5 गावों की जमीन का अधिग्रहण रद्द कर दिया था. ये गांव हैं शाहबेरी, गुलिस्तांपुर, सूरजपुर, मकौदा और पतवारी गांव.
शाहबेरी मामले में ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी को सुप्रीम कोर्ट ने भी कड़ी फटकार लगाई थी. उच्चतम न्यायालय ने कहा था. जमीन किसानों की मां है. किसान से खेती योग्य जमीन लेकर उसे बिल्डरों को देना गलत है. किसानों की जमीन वापस देने का हाईकोर्ट का फैसला सही है.
कौन-कौन से प्रोजेक्ट्स होंगे प्रभावित
ऐसे में, उन 11 गावों के किसानों को भी इंसाफ की आस है जिनकी जमीन का ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने अधिग्रहण कर लिया था. लेकिन कोर्ट के सामने उन हजारों लोगों का भी सवाल है, जो नोएडा एक्सटेंशन में अपनी जिंदगी भर की जमा-पूंजी लगा चुके हैं.
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