वैज्ञानिकों का दावा है कि इंसान को खुश या दुखी रखने में उनके जीन की अहम भूमिका होती है. उन्होंने उस जीन की पहचान कर ली है, जिससे इंसान खुश या दुखी होता है.
'एक्सप्रेस डॉट को डॉट यूके' की रिपोर्ट के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने इसके साक्ष्य ढूंढ़ निकाले हैं कि हमारे डीएनए का एक हिस्सा ही हमें स्वाभाविक रूप से खुश या दुखी रखता है. एसेक्स यूनीवर्सिटी ने इसके लिए 100 लोगों के डीएनए नमूनों की जांच की.
वैज्ञानिकों ने देखा कि लोगों के जीन किस तरह शरीर में मूड रसायन सेरोटोनिन को फैलाते हैं. जिन लोगों में जीन के छोटे प्रकार थे, उनमें सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रतिक्रियाएं गहरी थीं. लेकिन जिनमें लम्बे जीन थे, उन्होंने कम प्रतिक्रिया दी.
शोधकर्ता एलेन फॉक्स ने कहा, 'लंबे जीन वाले अनुकूल परिस्थितियों में बेहतर हो सकते हैं, लेकिन अच्छे अनुभव से बहुत कुछ प्राप्त नहीं कर सकते.' उम्मीद की जा रही है कि इससे तनाव तथा सदमे से उबरने के लिए होने वाले उपचार में सहायता मिलेगी.