जन-लोकपाल विधेयक की मांग पर अनशन पर बैठे अन्ना हजारे के आंदोलन पर अमेरिकी मीडिया ने एक तरफ जहां कहा है कि सरकार कठिन राजनीतिक परिस्थिति में फंस गयी है वहीं एक प्रमुख अखबार ने हजारे के तरीके को ‘अराजक’ बताया है.
हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन, उनकी गिरफ्तारी और सरकार के साथ उनकी बातचीत को अमेरिकी मीडिया में काफी जगह मिली है और अखबारों का कहना है कि वह सरकार के लिए कांटा बन गए हैं.
वाशिंगटन पोस्ट कहता है, ‘हजारे, महात्मा गांधी के अनुयायी, तेजी से बढ़ रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ हो रहे राष्ट्रव्यापी सामाजिक आंदोलन के चेहरे हैं. वह कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकार के लिए कांटा बन गये हैं.’
अमेरिका के प्रमुख टेलीविजन चैनल सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक यह सामाजिक कार्यकर्ता देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के अगुवा बन गए हैं. सीएनएन के अनुसार, ‘वह बड़ी मात्रा में जनसमर्थन जुटाने में सफल रहे हैं क्योंकि इस मुद्दे पर (भ्रष्टाचार) काफी असंतोष है. यहां तक की नागरिकों ने आईपेडब्राइब डॉट कॉम नामक एक वेबसाइट का भी निर्माण भी किया है जहां पर लोग भ्रष्टाचार की भर्त्सना कर सकते हैं.
दूसरी तरफ, न्यूयार्क टाइम्स का कहना है, ‘भारत के सभी टेलीविजन चैनलों पर बडे पैमाने पर हुए प्रसारण के कारण विरोध प्रदर्शनों ने निश्चित रूप से देश का ध्यान अपनी ओर खींचा है और सरकार को कठिन परिस्थितियों में डाला है.’
लॉस एंजिलिस टाइम्स का कहना है कि एक प्रमुख भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकर्ता की गिरफ्तारी कर भारत सरकार ने एक राजनीतिक संकट को टालने की कोशिश की लेकिन इसका नतीजा उल्टा निकला और संसद से नेताओं ने बहिर्गमन किया और देशभर में प्रदर्शन होने लगे.
हालांकि, वॉल स्ट्रीट जनरल ने हजारे पर भारतीय संविधान को कमजोर करने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि वह जिन तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं वह कुछ और नहीं बल्कि अराजकता है.
अखबार कहता है, ‘एक लोकतांत्रिक देश में हजारे के तरीकों की कोई जगह नहीं है. भारत जैसे देशों में पारदर्शी राजनीतिक व्यवस्था में मतभेद मतों से सुलझाये जाते हैं लेकिन हजारे आमरण अनशन से मुद्दे पर दवाब बना रहे हैं.’