समाज के लोगों की निन्दा किए जाने पर सरकार की जमकर खिंचाई करते हुए गांधीवादी अन्ना हजारे ने 16 अगस्त के अपने प्रस्तावित आंदोलन पर इसे ‘कुचले जाने’ की ‘धमकियों’ के बावजूद आगे बढ़ने का संकल्प लिया और कहा कि ‘वह लाठी ही नहीं बल्कि गोलियों का सामना करने को भी तैयार हैं.’
यह उल्लेख करते हुए कि सूचना का अधिकार जैसा कानून समाज के दबाव की वजह से ही लागू हुआ हजारे ने कहा ‘यदि यह (लोकपाल को लेकर सरकार पर दबाव) ब्लैकमेल करने के समान है तो मैं अपनी समूची जिन्दगी ब्लैकमेलिंग का सहारा लेने को तैयार हूं.’ लोकपाल विधयेक के मुद्दे पर समाज के कार्यकर्ताओं की भूमिका की दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल द्वारा की गई आलोचनाओं को खारिज करते हुए उन्होंने केंद्र की कांग्रेस नीत सरकार को याद दिलाया कि यह दिवंगत राजीव गांधी थे जिन्होंने देश की पंचायती राज व्यवस्था के संबंध में 73वें और 74वें संविधान संशोधन के लिए समाज के लोगों की राय मांगी थी.
यहां दक्षिणी मुम्बई में ‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन’ के कार्यालय का उद्घाटन करने के बाद हजारे ने संवाददाताओं को बताया ‘राजीव गांधी ने यह कहकर देशभर के पांच लाख ग्राम प्रमुखों को पत्र लिखे थे कि उनकी सरकार पंचायती राज के संबंध में संवैधानिक संशोधन लाना चाहती है. उन्होंने ऐतिहासिक कानून के लिए समाज के लोगों के विचार मांगे थे.’
हजारे ने कहा कि प्रभावी लोकपाल विधेयक के लिए 16 अगस्त से होने वाला उनका आंदोलन ‘दूसरे स्वतंत्रता आंदोलन’ का आगाज होगा. उन्होंने कहा ‘मैं लोगों से अपील करता हूं कि वे इस दिन रात आठ बजे से रात नौ बजे तक अपने घर की बिजली बंद रखें और भ्रष्टाचार के खात्मे के लिए नारे लगाते हुए सड़कों पर निकल आएं.’ गांधीवादी कार्यकर्ता ने कहा कि उन पर इस धमकी का कोई असर नहीं पड़ता कि दिल्ली में जंतर मंतर पर उनका प्रस्तावित आंदोलन बाधित किया जाएगा.
हजारे ने कहा ‘वे कहते हैं कि उनका आंदोलन बाबा रामदेव की तरह कुचल दिया जाएगा. क्या यह महात्मा गांधी और कामराज की सरकार है. यह लोकतंत्र नहीं बल्कि तानाशाही है. मैं लाठियां ही नहीं बल्कि गोलियों का सामना करने को भी तैयार हूं.’ मनसे प्रमुख राज ठाकरे द्वारा उनसे किए गए इस आह्वान पर कि वह महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजीत पवार का ‘खुलासा’ करें हजारे ने कहा कि उनकी इन दोनों में से किसी से मिलने की कोई योजना नहीं है.
हजारे ने कहा कि यदि महाराष्ट्र सरकार लवासा हिल सिटी परियोजना में हुए घोटाले को नजरअंदाज करती है तो वह महाराष्ट्र में भी आंदोलन करेंगे.
हजारे ने कहा कि उन्होंने यह कभी नहीं कहा कि वह संसदीय लोकतंत्र में विश्वास नहीं करते. उन्होंने कहा ‘इस समय इस नजरिए को बदलने की जरूरत है कि राजनीति धन और बल के लिए है. लोकपाल इस परिवर्तन को लाने में मदद करेगा.’