गांधीवादी अन्ना हजारे ने लोकपाल विधेयक पर अपने आंदोलन की तुलना जयप्रकाश नारायण द्वारा चलाये गये आंदोलन से करते हुए कहा कि इसने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने की दिशा देश को दी है.
नई दिल्ली में चार दिन तक अनशन पर बैठने के बाद अपने पैतृक गांव पहुंचे अन्ना का भव्य स्वागत किया गया. उन्होंने कहा, ‘‘यह दिवंगत जयप्रकाश नारायण द्वारा शुरू किये गये आंदोलन के बाद पहला देशव्यापी जन आंदोलन है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह बहुत कठिन काम है. सरकार अपना मुंह तभी खोलती है, जब उसकी नाक दबाई जाती है. मैं जनता के आंदोलन को और तेज करने के लिए देशभर की यात्रा पर निकलने वाला हूं.’’
गांव पहुंचे अन्ना का पहले यादवबाबा मंदिर तक विजय जुलूस निकाला गया, जहां से उन्होंने कई आंदोलन छेड़े. इसके बाद ग्रामीणों को संबोधित करते हुए अन्ना ने कहा, ‘‘मुझे अब भी आश्चर्य है कि इस आंदोलन को इतनी बड़ी सफलता मिली. मैं बिना शक्ति वाला आम आदमी हूं, लेकिन भगवान की इच्छा थी, जिसने मुझे भ्रष्टाचार से हताश लोगों के लिए उपलब्धि हासिल करने में प्रमुख सूत्रधार बनाया.’’{mospagebreak}
हजारे ने कहा कि उन्होंने इस संकल्प के साथ गांव छोड़ा था कि यदि लोकपाल विधेयक के लिए उनके अनशन से सरकार उनकी मांगें नहीं मानती, तो वह नहीं लौटेंगे. उन्होंने कहा, ‘‘यह मेरा संकल्प है कि जीना मरना है जनता के लिए.’’
अन्ना ने कहा, ‘‘केवल लोकपाल से ही भ्रष्टाचार खत्म नहीं हो जाएगा. मैं लोगों को जन आंदोलन मजबूत करने के लिहाज से प्रेरित करने के लिए देशव्यापी दौरा करने जा रहा हूं.’’ उन्होंने कहा कि उनके आंदोलन में राजनेताओं का दर्शकों के रूप में स्वागत है, लेकिन वे उनके साथ मंच पर नहीं बैठ सकते.
इससे पहले अहमदनगर जिले के इस गांव में अन्ना का एक नायक की तरह स्वागत किया गया. लोगों ने मिठाई बांटी और आतिशबाजी चलाई गयी. अन्ना के अनशन के चलते गुड़ी पड़वा के दिन इस त्योहार को नहीं मनाने वाले गांववासियों ने अन्ना के स्वागत में छतों पर गुड़ी सजाईं.