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लोकपाल बिल पर सोनिया को मनाएंगे हज़ारे

अन्ना हज़ारे गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री पद को लोकपाल के दायरे में लाने के मुद्दे पर उन्हें मनाने की कोशिश करेंगे. हज़ारे सोनिया से यह सवाल करेंगे कि जब मनमोहन सिंह जैसे ईमानदार व्यक्ति को प्रधानमंत्री पद को लोकपाल के दायरे में लाने को लेकर निजी तौर पर कोई हिचक नहीं है तो फिर ऐसा करने में आखिर क्या समस्या है.

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अन्ना हजारे
अन्ना हजारे

अन्ना हज़ारे गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री पद को लोकपाल के दायरे में लाने के मुद्दे पर उन्हें मनाने की कोशिश करेंगे. हज़ारे सोनिया से यह सवाल करेंगे कि जब मनमोहन सिंह जैसे ईमानदार व्यक्ति को प्रधानमंत्री पद को लोकपाल के दायरे में लाने को लेकर निजी तौर पर कोई हिचक नहीं है तो फिर ऐसा करने में आखिर क्या समस्या है.

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हज़ारे पक्ष ने यह भी कहा है कि सिंह को प्रधानमंत्री पद को लोकपाल के दायरे में लाने के बारे में उसी तरह से अपनी प्रतिबद्धता दर्शानी चाहिये, जैसी उन्होंने अमेरिका के साथ परमाणु करार करने के मुद्दे पर दिखायी थी. बुधवार को दिल्ली पहुंचे हज़ारे ने कहा कि वह सोनिया से गुरुवार को मुलाकात करेंगे और उन्हें लोकपाल विधेयक पर अपने रुख से अवगत करायेंगे.

कई नेताओं से मुलाकात करने राष्ट्रीय राजधानी आये हज़ारे ने संवाददाताओं से कहा, ‘हम सभी दलों के साथ बैठक करने वाले हैं. हम सोनिया गांधी से भी मुलाकात करेंगे और उनसे कहेंगे कि अगर प्रधानमंत्री खुद ऐसा (उनके पद को लोकपाल के दायरे में लाने में हिचक नहीं होने की बात) कह रहे हैं तो फिर समस्या क्या है.’ उन्होंने कहा कि मौजूदा प्रधानमंत्री ईमानदार व्यक्ति हैं.

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हज़ारे ने कहा, ‘केंद्रीय मंत्रिमंडल भारत का है, कैबिनेट में मौजूद लोग हमारे लोग हैं. तो फिर फैसला करने में समस्या क्या है. उन्हें देश के लिये ऐसा फैसला करना चाहिये.’ हज़ारे की यह टिप्पणी ऐसे समय आयी है जब सिंह ने पांच वरिष्ठ संपादकों के साथ बातचीत के दौरान कहा है कि प्रधानमंत्री पद को लोकपाल के दायरे में लाने के बारे में उन्हें स्वयं कोई झिझक नहीं है, लेकिन उनके मंत्रिमंडल के कई सहयोगियों का मानना है कि ऐसा करने से अस्थिरता पैदा हो सकती है.

हज़ारे की साथी कार्यकर्ता किरण बेदी ने कहा कि प्रधानमंत्री को अपनी अंतरआत्मा की आवाज सुनते हुए निजी तौर पर फैसला करना चाहिये और वैसा ही रुख अपनाना चाहिये, जैसा उन्होंने परमाणु करार के मुद्दे पर अपनाया था. प्रधानमंत्री ने कहा है कि वह लोकपाल के मुद्दे पर रास्ता निकालने और उस पर राष्ट्रीय आमसहमति बनाने की कोशिश करेंगे.

उन्होंने कहा कि सरकार इस संदर्भ में समाज (हजारे पक्ष) के सदस्यों से संपर्क करेगी लेकिन कोई भी समूह अपनी हर बात को अंतिम बताकर थोप नहीं सकता. इस पर किरण ने कहा कि हर नजरिया तर्कसंगत होना चाहिये. यही कारण है कि हज़ारे पक्ष सार्वजनिक चर्चा कराने की लगातार मांग कर रहा है और इस संबंध में केंद्र के मंत्रियों से अनुरोध भी किया गया है.

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उन्होंने कहा कि लोकपाल के मुद्दे पर जनता का नजरिया खबरों, सर्वेक्षणों और अध्ययनों के जरिये खुलकर सामने आ रहा है. इसे आप नजरअंदाज नहीं कर सकते. पूर्व आईपीएस अधिकारी ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाने के बारे में राजनीतिक दलों के विचार अलग-अलग हैं.

उन्होंने कहा कि अब इसका फैसला संसद में होगा, लेकिन वह नहीं जानतीं कि इसमें जनता की मांगों का कितना ध्यान रखा जायेगा. किरण ने कहा कि हज़ारे पक्ष यह भी पेशकश रख चुका है कि न्यायिक जवाबदेही विधेयक का मसौदा फिर से तैयार किया जाये, क्योंकि मौजूदा मसौदा मजबूत नहीं है.

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