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भारी वर्षा से उत्तराखंड में तबाही, 10 की मौत

उत्तराखंड में मूसलाधार बारिश के बाद विभिन्न घटनाओं में 10 लोगों की मौत हो गई जबकि 50 अन्य लापता हो गए. भीषण बारिश के बाद भूस्खलन, बादल फटने और अचानक बाढ़ आने की घटनाएं हुई हैं जिसमें कई मकान धराशायी हो गए हैं.

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उत्तराखंड
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उत्तराखंड में मूसलाधार बारिश के बाद विभिन्न घटनाओं में 10 लोगों की मौत हो गई जबकि 50 अन्य लापता हो गए. भीषण बारिश के बाद भूस्खलन, बादल फटने और अचानक बाढ़ आने की घटनाएं हुई हैं जिसमें कई मकान धराशायी हो गए हैं.

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चारधाम यात्रा को निलंबित कर दिया गया है और सैकड़ों तीर्थयात्री फंसे हुए हैं. प्राकृतिक आपदा का सर्वाधिक असर गढ़वाल क्षेत्र में हुआ है. मौसम विभाग के भारी वर्षा की चेतावनी देने के बाद राज्य सरकार ने हाई अलर्ट घोषित कर दिया है और लोगों के कष्ट को कम करने के लिए सेना से मदद मांगी गई है.

उत्तरकाशी जिले के उपरी पहाड़ियों में बादल फटने की घटना के बाद सरकारी यूजेवीएन लिमिटेड अस्सी गंगा पनबिजली परियोजना में काम कर रहे 19 श्रमिक लापता हैं. उत्तरकाशी के जिलाधिकारी आर राजेश कुमार ने कहा, ‘हमने लापता लोगों की तलाशी के लिए अभियान शुरू कर दिया है.’

आपदा प्रबंधन एवं राहत केंद्र ने यहां बताया कि राज्य के अन्य हिस्सों में अलग-अलग घटनाओं में विगत 24 घंटे में 10 लोगों की मौत हो गई. उत्तरकाशी जिले में कई निचले क्षेत्रों में अचानक बाढ़ आ गई जिससे वहां अफरा-तफरी मच गई. गंगोरी इलाके में दमकल विभाग के कम से कम तीन जवानों और दो अन्य लोगों की मौत हो गई है. वहीं, गंगोत्री और यमुनोत्री इलाके में आज लगातार दूसरे दिन चारधाम यात्रा निलंबित रही.

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उत्तरकाशी के गंगोत्री इलाके में भागीरथी खतरे के निशान से उपर बह रही है और लोगों को वहां से निकालकर सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जा रहा है. बाढ़ में करीब 30 मकान बह गए जबकि गंगोरी पुल भी ढह गया. राज्य आपदा प्रबंधन मंत्री यशपाल आर्य ने कहा, ‘हमारे पास अब खबरें हैं कि गंगोरी में दमकल विभाग के तीन जवानों और दो अन्य की मौत हो गई है.’

उत्तरकाशी जिले के डुंडा इलाके में दो और लोगों की मौत हो गई. चमोली जिले के कर्णप्रयाग इलाके में एक मकान गिर गया जिसमें दो बच्चों की मौत हो गई. जिले के पोखरी इलाके में अचानक आई बाढ़ में एक अन्य बच्चा बह गया. वहां भूस्खलन के कारण बद्रीनाथ को जाने वाला राजमार्ग अब भी प्रभावित है.

भूस्खलन की ताजा घटना के बाद पाटलगंगा, लंगागार और बिरही में विभिन्न स्थानों पर सैकड़ों बद्रीनाथ तीर्थयात्री फंसे हुए हैं. सूत्रों ने बताया कि केदारनाथ धाम के लिए यात्रा निलंबित कर दी गई है. सरकार ने राहत और बचाव अभियान शुरू कर दिया है लेकिन भारी वर्षा के कारण यह अभियान प्रभावित हुआ है. प्रभावित लोगों को भोजन पैकेट बांटे जा रहे हैं. करीब 250 परिवारों को पहले ही उत्तरकाशी और चमोली जिलों के विभिन्न इलाकों में सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है.

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मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा हालात की निगरानी कर रहे हैं और संबद्ध अधिकारियों से आपदा प्रभावित क्षेत्रों में राहत एवं बचाव अभियान शुरू करने को कहा है. उन्होंने संबद्ध अधिकारियों से यह भी कहा है कि तीर्थयात्री मंदिरों को जाने वाली सड़कों को दोबारा खोलें ताकि फंसे हुए तीर्थयात्री घर जा सकें. बहुगुणा ने सचिवालय में विशेष चारधाम प्रकोष्ठ स्थापित करने को कहा है जो गढ़वाल क्षेत्र में हालात के संबंध में उसे रोजाना रिपोर्ट भेजेगा.

मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार फंसे हुए तीर्थयात्रियों को खाद्यान्न और अन्य जरूरी वस्तुएं प्रदान करेगी. गढ़वाल क्षेत्र की कमजोर पहाड़ियों में भूस्खलन आम बात है. पिछले वर्षों सरकार ने भारी भूस्खलन और करीब एक हफ्ते तक मूसलाधार बारिश के बाद बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के चारों धामों के लिए चारधाम यात्रा निलंबित कर दी थी.

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