दिल्ली हाईकोर्ट ने ब्लू लाइन बसों को हटाने के राष्ट्रीय राजधानी की सरकार के फैसले पर सोमवार को रोक लगाने से इनकार कर दिया. न्यायमूर्ति संजीव किशन कौल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि सरकार के पास इस तरह के फैसले करने का अधिकार है.
अदालत ने ब्लू लाइन बसों के संगठन की ओर से दाखिल याचिका पर यह आदेश दिया. इस याचिका में ब्लू लाइन बसों को बंद करने के दिल्ली सरकार के फैसले को चुनौती दी गयी थी.
इस खंडपीठ में न्यायमूर्ति वाल्मीकि मेहता भी सदस्य थे. खंडपीठ ने सरकार से कहा कि वह ब्लू लाइन बस ऑपरेटरों की ओर से दाखिल याचिका पर चार सप्ताह के भीतर अपना जवाब दे.
सरकार ने इन बसों को हटाने के लिये 17 अक्तूबर को अधिसूचना जारी की थी.
इससे पहले, हाईकोर्ट की एक सदस्यीय पीठ ने दक्षिण दिल्ली में बसें चला रहे ब्लू लाइन ऑपरेटरों को अपने इस आदेश के साथ यह राहत दी थी कि ब्लू लाइन बसों को शहर से 14 दिसंबर तक पूरी तक हटाने की राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की सरकार की अधिसूचना क्लस्टर-1 पर लागू नहीं होगी.
अदालत ने कहा था कि ब्लू लाइन बसों को बसें चलाने की इजाजत देने वाला हाईकोर्ट का फैसला आगामी आदेश तक कायम रहेगा और 27 अक्तूबर को जारी हुई अधिसूचना क्लस्टर-1 पर लागू नहीं होगी.