दिल्ली उच्च न्यायालय ने एयर इंडिया के हड़ताली पायलटों को चेतावनी दी कि अगर वे तत्काल काम पर नहीं लौटे तो उनके ट्रेड यूनियन आईसीपीए की संपत्ति कुर्क कर ली जाएगी.
हड़ताल वापस लेने से पायलटों के इंकार करने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए न्यायमूर्ति गीता मित्तल ने कहा, ‘कोई छूट नहीं मिलेगी. अगर आप आदेश का पालन नहीं करेंगे तो मेरे पास आईसीपीए की संपत्ति को कुर्क करने समेत अन्य आदेश देने के सिवाय कोई विकल्प नहीं है.’
आईसीपीए के वकील संजय घोष के उस बयान ने न्यायमूर्ति मित्तल को नाराज कर दिया जिसमें उन्होंने कहा कि वह कल उनसे (हड़ताली पायलटों से) मिले थे और उन्हें काम पर वापस लौटने को लेकर उन्हें समझाने की कोशिश की थी लेकिन ‘प्रबंधन के रवैये के कारण वे नरम पड़ने को तैयार नहीं हैं.’
हड़ताल वापस लेने के संबंध में अदालत के आदेश की अवज्ञा करने को लेकर हड़ताली पायलटों की निंदा करते हुए न्यायमूर्ति मित्तल ने आईसीपीए के पदाधिकारियों को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए.
कोर्ट ने लगाई फटकार फिर भी जारी है हड़ताल
न्यायमूर्ति गीता मित्तल ने इंडियन कॉमर्शियल पायलट्स एसोसिएशन (आईसीपीए) के अध्यक्ष ए एस भिंडर, महासचिव ऋषभ कपूर और क्षेत्रीय सचिव अमितेश आहूजा को नोटिस जारी किया और उनसे कहा कि सोमवार को मामले की अगली सुनवाई के दौरान व्यक्तिगत रूप से पेश होकर अवमानना के आरोपों का जवाब दें.
न्यायमूर्ति मित्तल ने एयर इंडिया अधिकारियों की अत्यावश्यक याचिका पर हड़ताली पायलटों को नोटिस जारी किया. याचिका में अदालत के बुधवार के आदेश के अनुसार हड़ताली पायलटों के काम पर नहीं लौटने को लेकर उनके खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की मांग की गई थी.
आईसीपीए ने कहा कि हड़ताली पायलट ऐसी अशांत मानसिक दशा में हैं कि उनपर उड़ान के संचालन के लिए दबाव डालना यात्रियों की जान को जोखिम में डालना होगा.
घोष ने कहा, ‘ऐसी अशांत मानसिक स्थिति में कैसे हम उड़ानों का परिचालन कर सकते हैं और लोगों की जान को जोखिम में डाल सकते हैं.’