महंगाई को लेकर संसद के भीतर और बाहर विपक्ष द्वारा घेराबंदी के बीच सरकार ने कहा कि मुद्रास्फीति की समीक्षा के लिए एक अंतर मंत्रालयी समूह बनाया गया है. इस समूह ने अपनी सिफारिशों में मल्टी ब्रांड रिटेल में एफडीआई को मंजूरी देने की बात कही थी.
लोकसभा में राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह और माणिकराव एच गावित के प्रश्न के लिखित उत्तर में वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि सरकार मूल्य स्थिति पर बराबर नजर रखती है और मूल्य स्थिरता को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है. थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति एक अंक में बनी हुई है और 2011.12 में 12.39 करोड टन खाद्यान्न उत्पादन का अनुमान है जो पिछले वर्ष 11.46 करोड़ टन था.
वित्तमंत्री ने कहा, ‘ समग्र मुद्रास्फीति की स्थिति की समीक्षा विशेष तौर पर प्राथमिक खाद्य वस्तुओं, राजकोषीय और मौद्रिक नीतियों के संदर्भ में मुद्रास्फीति की समीक्षा के लिए वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार की अध्यक्षता में दो फरवरी 2011 को एक अंतर मंत्रालयी समूह का गठन किया गया है.’
प्रणब ने कहा कि इस समूह ने मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए दो महत्वपूर्ण नीतिगत परिवर्तनों की सिफारिश की. इन सिफारिशों में कृषि उत्पाद एवं विपणन समिति कानून में सुधार और मल्टी ब्रांड रिटेल में एफडीआई को मंजूरी देना शामिल है.
उन्होंने कहा कि आम आदमी पर मुद्रास्फीति का प्रभाव कम करने वाले उपायों में गेहूं, दाल, खाद्य तेल (नारियल एवं वन आधारित तेल को छोड़कर)और प्याज पर आयात शुल्क शून्य करना, दालों (काबुली चना और जैव दालों को छोड़कर) से निर्यात प्रतिबंध हटाना, कच्चे तेल पर सीमा शुल्क तथा पेट्रोल एवं डीजल पर आयात शुल्क में कटौती करने जैसी पहल शामिल है.