हिना रब्बानी खार ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री पद की शपथ ले ली. वह पाकिस्तानी की सबसे कम उम्र की और प्रथम महिला विदेश मंत्री हैं.
भारत के साथ निर्णायक बातचीत से पहले उन्हें पदोन्नति देकर यह जिम्मेदारी सौंपी गई है. प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी की सलाह पर राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने 34 साल की हिना को यह पदोन्नति दी है. इससे पहले वह विदेश राज्य मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रही थीं.
हिना को कार्यवाहक राष्ट्रपति फारुक एच नाइक ने पद और गोपीयनता की शपथ दिलाई. जरदारी इन दिनों अफगानिस्तान के दौरे पर हैं. जरदारी अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई के भाई की हत्या पर उन्हें सांत्वना देने काबुल गए हुए हैं. वह इस मौके पर द्विपक्षीय मुद्दों और क्षेत्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्थिति पर भी चर्चा करेंगे.
शपथ ग्रहण समरोह में वरिष्ठ अधिकारी, संघीय मंत्रिमंडल के सदस्य और बड़े राजनयिक शामिल हुए थे. विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा, ‘‘श्रीमती खार पहली महिला और सबसे क्रम उम्र की विदेश मंत्री बनी हैं.’’
सबसे कम उम्र में विदेश मंत्रालय की कमान संभालने के मामले में हिना ने पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो को पीछे छोड़ दिया है. भुट्टो 35 साल की उम्र में विदेश मंत्री बने थे.
प्रधानमंत्री गिलानी ने कल ब्रिटेन की निजी यात्रा पर रवाना होने से पहले हिना रब्बानी को विदेश मंत्री बनाने की सलाह दी थी. गिलानी ने लंदन रवाना होने से पहले हिना से प्रधानमंत्री आवास में मुलाकात की और उनकी नई भूमिका को लेकर बातचीत की थी.
विदेश मंत्री बनने के बाद अब हिना रब्बानी 22-23 जुलाई को इंडोनेशिया के बाली में आसियान क्षेत्रीय मंच की बैठक में भाग लेंगी. इस बैठक के इतर वह चीन के विदेश मंत्री यांग जिएची और अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन से मुलाकात कर सकती हैं.
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘आसियान बैठक से लौटने के बाद वह भारत रवाना होंगी, जहां वह भारत-पाकिस्तान के बीच मंत्री स्तर की वार्ता में शिरकत करेंगी.’’ पहले खबरों में कहा गया था कि जरदारी के अफगानिस्तान से लौटने के बाद हिना को शपथ दिलाई जाएगी.
गौरतलब है कि शाह महमूद कुरैशी को कैबिनेट में फेरबदल के दौरान विदेश मंत्री पद से हटाया गया था जिसके बाद से यह महत्वपूर्ण पद खाली था. हिना रब्बानी वरिष्ठ नेता मलिक गुलाम नूर रब्बानी खार की बेटी और पूर्व गर्वनर मलिक गुलाम मुस्तफा खार की भतीजी हैं. वह परवेज मुशर्रफ के सैन्य शासन के दौरान पीएमएल-क्यू की सदस्य थीं लेकिन 2008 आम चुनावों से पहले सत्तारूढ़ पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी में शामिल हो गई थीं.