दिल्ली हाई कोर्ट परिसर के बाहर हुए धमाकों में अमोनियम नाइट्रेट और PETN का इस्तेमाल हुआ था. विस्फोटक में शॉर्पनल्स का इस्तेमाल नहीं के बराबर हुआ. लेकिन, अभी ये साफ नहीं है कि धमाका रिमोट से किया गया या फिर टाइमर से. एक नजर मोडस ऑपरेंडी पर.
दिल्ली के लिए 07 सितंबर की सुबह काला बुधवार था. सुबह के सवा दस बजे का वक्त था. दिल्ली हाईकोर्ट के बाहर गहमागहमी तेज हो रही थी.
हाईकोर्ट के गेट नंबर पांच से सटे हुए काउंटर के बाहर खड़े लोग अपने पास बनवा रहे थे कि तभी वहां हुआ जोरदार धमाका.
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धमाका रिशेप्शन काउंटर के बाहर रखे ब्रीफकेस में हुआ था. धमाका इतना तेज कि आसपास खड़ी कारों के परखच्चे उड़ गए.
धमाके के बाद जमीन पर एक फीट गहरा और दो फीट चौड़ा गड्ढा बन गया. गड्ढे को देखते हुए जांच एजेंसियों को शक है धमाके में कम से कम दो किलो विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया. धमाके के लिए अमोनियम नाइट्रेट और PETN का इस्तेमाल हुआ. आपको बता दें कि पीईटीएन एक ताकतवर विस्फोटक होता है. सिर्फ सौ ग्राम PETN एक कार के परखच्चे उड़ा सकती है.
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ज्यादा नुकसान पहुंचाने के लिए अमूमन आतंकी विस्फोटक में शार्पनल्स यानी कीलों का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन, दिल्ली हाईकोर्ट के बाहर हुए धमाकों में कीलों का नहीं के बराबर इस्तेमाल नहीं हुआ था. इसलिए ज्यादातर लोगों को नुकसान धमाकों से हुआ. इनमें भी अधिकांश लोग कमर के नीचे घातक चोट के शिकार हुए.
गृह मंत्री चिदंबरम ने कहा, ‘ज्यादातर लोगों का शरीर का निचले हिस्सा प्रभावित हुआ है. ब्लास्ट से उनके पैर जख्मी हुए हैं. एक मरीज का पैर काटना पड़ा. एक-दो और केस ऐसे हो सकते हैं. मैं दिल से दुखी हूं.’
जांच एजेंसियां अभी इस बात की तफ्तीश कर रही हैं कि विस्फोट के लिए टाइमर का इस्तेमाल किया गया या फिर रिमोट का. लेकिन जानकार मानते हैं कि टाइमर का इस्तेमाल हुआ होगा. इसकी तस्दीक चश्मदीद के बयान से भी होती है.
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चश्मदीद के बयान के मुताबिक धमाके के वक्त संदिग्ध वहीं था. अगर उसके पास रिमोट होता तो धमाके की जगह से वो हट चुका होता. इसका मतलब है कि विस्फोटक में टाइमर लगा होगा और उसे भागने का मौका नहीं मिला.
इस बीच, पुलिस DL9CA 6034 नंबर वाली एक कार की तलाश कर रही है, जो हुंदै सैंट्रो या हुंदै आई-10 हो सकती है. पुलिस को शक है कि संदिग्ध और उसके साथी इसी कार से आए थे. पुलिस के मुताबिक पहचान छिपाने के लिए कार का लगा नंबर प्लेट फर्जी भी हो सकता है.