मीडिया के माध्यम से धन खर्च कर विज्ञापन और प्रचार के बूते छवि चमकाने के आरोप को दरकिनार कहते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधानसभा में कहा कि वह जनता के खजाने के ट्रस्टी हैं.
नीतीश ने विपक्ष के संशोधन और राज्यपाल के अभिभाषण पर सरकार का पक्ष रखते हुए कहा, ‘हम मीडिया के विज्ञापन और प्रचार के बूते नहीं बल्कि जमीन पर काम कर रहे हैं. जनता विज्ञापन और प्रचार देखकर नहीं बल्कि जमीनी हकीकत देखकर वोट देती है. मैं जनता के खजाने का ट्रस्टी हूं. गांधी जी के सिद्धांत के अनुसार उसकी रक्षा करूंगा.’
नीतीश ने कहा, ‘जब तक मेरा शरीर साथ देगा तब तक काम करते करेंगे. शरीर साथ नहीं देगा तो काम छोड़ देंगे.’ नीतीश ने कहा कि राज्य में मीडिया स्वतंत्र है. विज्ञापन और प्रचार एक हिस्सा भर होता है. केंद्र सरकार भी विज्ञापन पर खर्च करती है. विज्ञापन देने के लिए अपने नियम हैं. प्रचार की भूमिका सीमित होती है, जो मुख्य तो काम है. विज्ञापन पर 200 करोड़ रुपये या 50 करोड़ रुपये के खर्च का हिसाब लेना है तो सूचना जनसंपर्क विभाग में आरटीआई दाखिल कर कोई भी जानकारी ले सकता है.
उन्होंने विपक्ष से कहा, ‘मीडिया खिलाफ में कुछ भी दिखाता रहे कोई फर्क नहीं पड़ता है. इलेक्ट्रानिक मीडिया और मीडिया द्वारा खिलाफ में दिखाने से वोट नहीं मिलता. सोशल मीडिया भी हम लोगों के खिलाफ तरह तरह की अपमानजनक बातें दिखा रहा है. इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला. हम किसी की खुशामद नहीं करने वाले.’
नीतीश ने कहा कि मीडिया ने बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान त्रिशंकु विधानसभा की बात कही थी लेकिन जनता ने धता बता दी. मुख्यमंत्री ने कहा, ‘हमें कोई फर्क नहीं पड़ने वाला और कोई समझौता नहीं करेंगे. हम तो जनता के बीच रहकर काम करते हैं. जनता के बीच रहकर राजधर्म निभाते हैं. इसलिए सेवा यात्रा और विकास यात्रा की.’