सोनिया गांधी ने अन्ना हजारे को पत्र लिखकर कहा है कि वह बदनाम करने की राजनीति को न तो समर्थन देती हैं और न ही प्रोत्साहित करती हैं.
सोनिया ने हजारे से कहा, आपको सार्वजनिक जीवन में शुचिता की लड़ाई के लिए मेरी प्रतिबद्धता पर कोई संदेह नहीं होना चाहिए. मैं लोकपाल संस्था का मजबूती से समर्थन करती हूं, जो हमारे संसदीय लोकतंत्र की परंपराओं के संगत है.
हज़ारे को लिखे जवाबी पत्र में राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की अध्यक्ष सोनिया ने कहा कि वह मानती है कि रिश्वत और भ्रष्टाचार से निपटने की ‘तत्काल जरूरत’ है और सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी स्थापित करने के लिए ‘मेरी प्रतिबद्धता’ पर अन्ना को कोई संदेह नहीं होना चाहिए.
उन्होंने कहा कि लोकपाल विधेयक राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) के एजेंडे का हिस्सा है और इस विषय पर चर्चा का खाका तैयार करने के लिए एक कार्य समूह का गठन किया गया है जिसे परिषद की 28 अप्रैल को होने वाली अगली बैठक में मंजूरी दी जायेगी.
सोनिया ने हज़ारे को लिखे पत्र में कहा, ‘मीडिया में आई खबरों के संबंध में, मैं आपको आश्वस्त करना चाहती हूं कि मैं बदनाम करने की राजनीति को प्रोत्साहित नहीं करती और न ही इसका समर्थन करती हूं.’ इससे पहले सोमवार को हज़ारे ने सोनिया को लिखे पत्र में आरोप लगाया था कि लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार करने के लिए गठित संयुक्त समिति में समाज के सदस्यों के खिलाफ कांग्रेस के कुछ नेताओं की ओर से ‘बदनाम करने का अभियान’ चलाया जा रहा है.
हज़ारे ने उनसे आग्रह किया था कि वह अपने सहयोगियों को सलाह दें कि वह कानून का मसौदा तैयार करने की प्रक्रिया को पटरी से उतारने का प्रयास नहीं करें. उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष से यह सवाल भी किया था कि क्या ऐसा करने के लिए उनकी अनुमति प्राप्त है.
सोनिया ने हजारे को लिखे पत्र में कहा, ‘मैं जोर देकर कहना चाहती हूं कि जैसा कि मैंने आपको पूर्व में लिखा है उसके अनुरूप रिश्वत और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की तत्काल जरूरत है.’ उन्होंने लिखा, ‘आपको सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी स्थापित करने के लिए संघर्ष करने की मेरी प्रतिबद्धता पर कोई संदेह नहीं होना चाहिए. मैं संसदीय लोकतंत्र की स्थापित परंपराओं के अनुरूप लोकपाल संस्थान का पूरी तरह से समर्थन करती हूं.’