राहुल द्रविड़ अपनी 191 रन की मैराथन पारी खेलने के कारण काफी संतुष्ट हैं क्योंकि वह अपनी बल्लेबाजी में हाल में आयी कुछ कमियों को दूर करने में सफल रहे.
द्रविड़ ने न्यूजीलैंड के खिलाफ तीसरे टेस्ट मैच के तीसरे दिन का खेल समाप्त होने के बाद कहा, ‘आस्ट्रेलियाई श्रृंखला के दौरान मैं बायें हाथ के तेज गेंदबाजों के खिलाफ अच्छा प्रदर्शन नहीं
कर पा रहा था. उन्हें डग बोलिंजर और मिशेल जानसन ने काफी परेशान किया था. इसलिए मैं एनसीए गया और मैंने वहां के कोच के साथ अपनी इस कमजोरी से उबरने के लिये काम
किया और गैरी कर्स्टन से भी बात की.’
उन्होंने कहा, ‘असल में मैं बल्ले का मुंह कवर की तरफ खोल रहा था जिससे परेशानी हो रही थी. इसलिए जब एंडी मैकाय गेंदबाजी कर रहा था तब मैंने जितना संभव हुआ सीधे बल्ले से
खेलने की कोशिश की. इसी पर मैंने काम किया था.’ न्यूजीलैंड श्रृंखला से पहले द्रविड़ की लचर फार्म के लिये कड़ी आलोचना हुई थी लेकिन उनका मानना है कि इस पर विचार करने का
कोई मतलब नहीं बनता.
द्रविड़ ने कहा, ‘यदि आप रन नहीं बनाओगे तो सवाल उठेंगे. यह अलग बात है कि जब 23 या 24 साल के होते हो तो आप से अलग तरह के सवाल किये जाते हैं जबकि 37 या 38 साल
का होने पर उन सवालों का स्वरूप बदला जाता है. यह आज की क्रिकेट का हिस्सा है और आपको इसे स्वीकार करना होगा. वापसी का सबसे बढ़िया तरीका रन बनाना है.
द्रविड़ का मानना है कि इस मैच में श्रेय गेंदबाजों को दिया जाना चाहिए जिन्होंने न्यूजीलैंड को 193 रन पर आउट किया. उन्होंने कहा, ‘न्यूजीलैंड ने इस श्रृंखला में बहुत अच्छी बल्लेबाजी
की. हम अक्सर 450 से अधिक का स्कोर बनाते रहे हैं लेकिन गेंदबाजों के कारण हम बड़ी बढ़त हासिल करने में सफल रहे. मंगलवार का पहला सत्र काफी महत्वपूर्ण होगा.’
उन्होंने कहा, ‘जब तक गेंद नयी और कड़ी रहती है तब तक यदि हम कुछ विकेट लेने में सफल हो जाते हैं तो यह काफी अच्छा रहेगा. पिच अब भी सपाट है और गेंद अधिक टर्न नहीं ले
रही है. यह अब भी बल्लेबाजी के लिये अच्छी पिच है. गेंद पुरानी होने के बाद बल्लेबाजों के लिये रन बनाना आसान होगा.’ इस श्रृंखला में सुरेश रैना को छोड़कर चोटी के आठ बल्लेबाजों में
से सात ने अच्छे रन बनाये लेकिन द्रविड़ का मानना है कि दक्षिण अफ्रीका में श्रृंखला एकदम से अलग तरह की होगी.
उन्होंने कहा, ‘रन बनाना हमेशा अच्छा रहता है और इससे आपका आत्मविश्वास बढ़ता है लेकिन हमें यह भी ध्यान में रखना होगा कि दक्षिण अफ्रीका में परिस्थितियां एकदम से भिन्न
होंगी. रैना के लिये यह अच्छा समय नहीं रहा लेकिन वह प्रतिभाशाली बल्लेबाज है. टेस्ट क्रिकेट काफी कड़ा प्रारूप है और इसमें अनुभव से ही कुछ सीखा जा सकता है.’