भ्रष्टाचार के खात्मे के लिए केंद्र की ओर से पर्याप्त कोशिशें नहीं किये जाने पर निराशा जताते हुए भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के अगुवा अन्ना हजारे ने कहा है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर मेरा भरोसा नहीं रहा.
जिले के दौरे के दौरान हजारे ने कहा, ‘प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर मेरा मजबूत विश्वास था लेकिन अब मुझे उन पर यकीन नहीं रहा.’ उन्होंने कहा, ‘हमें ऐसे लोगों को चुनकर संसद में भेजना है जिनका चरित्र अच्छा हो. ऐसा करके ही वह बदलाव लाया जा सकता है जिसकी हमें अपेक्षा है.’
उन्होंने अफसोस जाहिर किया कि पिछले 65 सालों के दौरान लोकसभा या विधानसभाओं की ओर से जनहित में एक भी कानून पारित नहीं हुआ. हजारे ने कहा, ‘उनमें से ज्यादातर भ्रष्टाचार में शामिल हैं और लोक सूचना की कमी का फायदा उठा रहे हैं.’
उन्होंने आरोप लगाया कि ज्यादातर सार्वजनिक कोष का इस्तेमाल नेताओं और अधिकारियों की ओर से भ्रष्ट गतिविधियों के लिए किया जाता है. इसकी सिर्फ 10 फीसदी राशि विकास से जुड़े कामों में की जाती है.
हजारे ने सवालिया लहजे में कहा, ‘ऐसे हालात में हम किस तरह राष्ट्रीय विकास की अपेक्षा कर सकते हैं?’ गौरतलब है कि हजारे सशक्त लोकपाल विधेयक के सिलसिले में फिलहाल महाराष्ट्र के दौरे पर हैं.