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मैंने कभी नहीं कहा कि पार्टी बनाऊंगा: रामदेव

स्वामी रामदेव पिछले हफ्ते शनिवार को एक दिन के लिए दिल्ली आए तो तड़के तीन बजे तक केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के अधिकारी उन्हें कालाधन वापसी की अपनी कोशिशों से अवगत कराते रहे. हर वक्त ऊर्जा से लबालब रहने वाले स्वामी ने सुबह छह बजे से शाम को नागपुर के लिए विमान में सवार होने तक मुलाकातों का अटूट सिलसिला रख रखा था.

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स्वामी रामदेव पिछले हफ्ते शनिवार को एक दिन के लिए दिल्ली आए तो तड़के तीन बजे तक केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के अधिकारी उन्हें कालाधन वापसी की अपनी कोशिशों से अवगत कराते रहे. हर वक्त ऊर्जा से लबालब रहने वाले स्वामी ने सुबह छह बजे से शाम को नागपुर के लिए विमान में सवार होने तक मुलाकातों का अटूट सिलसिला रख रखा था. उसी दौरान उन्होंने सीनियर एडीटर श्यामलाल यादव और एसिस्टेंट एडीटर शिवकेश मिश्र से तफसील से बात करने का वक्त निकाला. उन्होंने अण्णा हजारे से मतभेदों की ओर इशारा भर किया और  भ्रष्टाचार के खिलाफ अपने अनशन को अटल बताया. बातचीत के अंशः

अभी थोड़े दिन पहले ही अण्णा हजारे ने अनशन किया था. उनके और आपके अनशन में फर्क क्या है?
वह आंदोलन विशुद्ध रूप से जन लोकपाल बिल की मांग को लेकर था. लोकपाल भ्रष्टाचार  रोकने में एक कानूनी हथियार हो सकता है. उसके अलावा भी देश की कानून व्यवस्था में और बहुत कुछ करना बाकी है. वहां से तो जंग शुरू हुई है. हमने उस आंदोलन का समर्थन किया था. उससे अलग यह कि 300 लाख करोड़ रु. देश के बाहर और 100 लाख करोड़ रु. देश के भीतर जो काला धन है उसे राष्ट्रीय संपत्ति घोषित किया जाए और इस कृत्य को राष्ट्रद्रोह करार दिया जाए. ऐसा न हुआ तो देश का धन बाहर जाता रहेगा और देश गरीब होता रहेगा. फिर इसे वापस लाया जाए. यूएन कन्वेंशन का एक हिस्सा है लोकपाल बिल. उसे केंद्र सरकार ने मान लिया है. लेकिन उसके 71 आर्टिकल्स के हिसाब से देश की कानून-व्यवस्था बननी अभी बाकी है. पहले पता लगाया जाए कि किन लोगों का कितना पैसा है. यह पता लगाया जा सकता है कि पिछले 20 वर्षों में कौन-कौन नागरिक कहां-कहां गया है. फिर हमारा कहना है कि शिक्षा में गुणात्मक सुधार लाएं क्योंकि पढ़े-लिखे लोग ही भ्रष्टाचार करते हैं. चुनाव सुधार किए जाएं जिससे सक्षम लोग ही चुनकर आएं. प्रधानमंत्री का चुनाव सीधे जनता करे.

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अण्णा के आंदोलन के दौरान और उसके बाद दिख रहा था कि आपके और उनके बीच कहीं कोई मतभेद हुआ है.
हम कोई मतभेद यहां व्यक्त नहीं करना चाहते. हमने उस आंदोलन को ताकत दी, खड़ा किया और एक मुकाम तक ले गए. उसके अंदर की जो चीजें हैं, उन्हें सामने रखकर हम कोई विवाद नहीं खड़ा करना चाहते. हमारा ध्येय व्यक्तियों पर केंद्रित होगा तो फिर बात बिगड़ जाएगी. हमने उस आंदोलन को मुद्दों पर आधारित समर्थन दिया था और आज भी दे रहे हैं.

उस आंदोलन में कई दागी लोग भी जुड़े बताए गए थे. आपके साथ भी ऐसे लोग नहीं आ जुड़ेंगे, इसकी क्या गारंटी है?
हमारे संगठन में कोई 10,000 पदाधिकारी हैं. हमारा संगठन जमीनी संगठन है. लाखों लोग जुड़े हैं पवित्रता के साथ. उनका कोई राजनीतिक स्वार्थ और महत्वाकांक्षा नहीं है. उनका सबका जीवन निष्कलंक है, बेदाग है.

सरकार ने आपकी मांगों पर चिट्ठी लिखी है और केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के अध्यक्ष सुधीर चंद्र ने आपसे मुलाकात भी की है. क्या उनके पक्ष से आप सहमत नहीं हैं?
हमारी मुख्यतया तीन मांगें हैं और उनसे जुड़े 15 बिंदु बनते हैं. उनमें से कुछ पर सरकार ने सकारात्मक संवाद किया है. लेकिन सहमति होना अभी बाकी है.

कौन-सी मांगें हैं जो उन्होंने मानी हैं अभी?
अभी मोटे तौर मुद्दों से सहमति जताई है. कुछ मुद्दों पर असहमति है. जब राष्ट्रहित की बात करेंगे तो उस पर असहमति कौन जता सकता है? लेकिन असली बात है कि समयबद्ध तरीके से, प्रामाणिकता के साथ काम होना चाहिए.

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आपने सिटीजन राइट्स की बात की है, वह क्या है?
सरकारी विभागों में सरकारी काम किए जाने की समय सीमा निर्धारित हो. तय समय में न होने पर संबंधित अधिकारी दंडित हों. इस पर केंद्र ने थोड़ी सहमति जताई है. उन्होंने कहा है कि राज्‍यों से भी कहेंगे. पर समय-सारिणी बनना बाकी है.

1,000 और 5,00 रु. के नोट बंद करने का मुद्दा छोड़ दिया क्या?
छोड़ा नहीं है. इस पर हमारी बात केंद्र सरकार से गंभीरतापूर्वक चल रही है. इसलिए इस पर अभी हम कुछ नहीं बोलना चाहते.

आप सरकारी लोगों के तो भ्रष्टाचार की बात करते हैं, पर देश में ऐसे तमाम लोग हैं जो टैक्स नहीं देते , बड़े पैमाने पर टैक्स चोरी करते हैं और भांति-भांति के भ्रष्ट तरीके अपनाते हैं. ऐसे बहुतेरे लोग आपको भी मदद करते होंगे. उनके खिलाफ आवाज नहीं उठनी चाहिए?
देश में 64 प्रकार के कर लगाए गए हैं. टैक्स चोरी रोकने के लिए लोगों के जीवन में ईमानदारी आनी चाहिए. सरकार जो कर लेती है, उसे प्रामाणिकता के साथ विकास कार्यों में लगाए. तीसरा, कर प्रक्रिया आसान हो. करों की यह जटिलता खत्म होनी चाहिए.

आपके आंदोलन की आखिरी परिणति किस रूप में होने वाली है?
काला धन की पूर्ण समाप्ति. भ्रष्टाचार पर पूर्ण अंकुश और शासन व्यवस्था में सुधार. फिर हमारा 99 फीसदी काम व्यक्ति निर्माण, चरित्र निर्माण और राष्ट्र निर्माण का है. योग के समावेश से व्यक्ति रोगमुक्त होता है.

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देश में 1,000 के करीब राजनीतिक पार्टियां हैं.  उनमें से हरेक पार्टी का गठन शुचिता की बातें करके ही होता है, लेकिन असल जीवन में वे इससे भटक जाती हैं. आपकी प्रस्तावित राजनैतिक पार्टी कैसे अलग रह पाएगी?
पहली बात तो यह कि मैं राजनीति में नहीं आ रहा. दूसरे, 20 साल का सार्वजनिक जीवन मैंने प्रामाणिकता से जिया है, जिस पर कोई सवाल नहीं लगा सकता. तीसरे, हम राजनैतिक व्यवस्था में सुधार चाहते हैं. राजनैतिक तंत्र, कानून-व्यवस्था, सारा ढांचा और उसे चलाने वाले लोग ऐसे हों कि कोई भी पार्टी सत्ता में आए, देश के साथ कोई गद्दारी न कर पाए. जो करे उसे हिसाब देना पड़े.

तो राजनैतिक पार्टी नहीं बनाएंगे आप?
हम कोई राजनैतिक या सांप्रदायिक एजेंडा लेकर नहीं चल रहे. हम राजनीति का शुद्धीकरण और राजनेताओं का पुनर्जन्म चाहते हैं.

लेकिन आपके एजेंडे में 100 फीसदी मतदान की भी बात है. तो अपने शिष्यों से किस पार्टी को वोट देने के लिए कहेंगे?
जो भ्रष्ट नहीं हैं, कार्यकुशल हैं, उनको. हम  देश में ऐसा वायुमंडल तैयार कर रहे हैं कि लोग ऐसे लोगों को ही वोट करें. अच्छे लोकतंत्र के लिए यह जरूरी है. जो भावना एक नागरिक में होनी जरूरी है, उसी को जगाने का काम हम कर रहे हैं. शिक्षा में ये संस्कार दिए नहीं जा रहे, घरों में वैसा वायुमंडल रहा नहीं, इसीलिए यह काम हम कर रहे हैं.

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हमें ध्यान है कि आपने 2014 में नया राजनैतिक दल देने की बात की थी.
हमने जो कहा था, वही फिर कह रहा हूं. हम 2014 में ऐसी व्यवस्था देखना चाहते हैं जिसमें कुशल और ईमानदार लोग चुनकर आएं. जो भी चुनकर आएं, देश के साथ गद्दारी नहीं, न्याय करें. वे कौन लोग होंगे, अलग-अलग पार्टियों के होंगे, कैसे होंगे यह सब मुझे नहीं मालूम. मैं सिर्फ इतना जानता हूं कि हम तीन साल में ऐसा वातावरण बना देंगे कि कुशल और ईमानदार लोग ही चुनकर आएं.

आपने यह भी कहा था कि पार्टी बनाएंगे और आप चाणक्य की भूमिका में रहेंगे.
हम यही कह रहे हैं कि अच्छे लोग चुनकर आएं, इसके लिए वातावरण बनाएंगे. यह हम सभी का कर्तव्य है.

लेकिन जब सिपाही से गृह मंत्री तक और पटवारी से प्रधानमंत्री तक पूरी व्यवस्था पर ही उंगली उठ रही हो तो आपके एक दिन के अनशन से क्या सुधार होने वाला है?
मैं नहीं मानता कि हर कोई भ्रष्ट है. जिनको ज्‍यादा अधिकार प्राप्त हैं, वे लोग ज्‍यादा भ्रष्ट हैं. उनमें भी सब कोई भ्रष्ट नहीं हैं. यह आंदोलन एक दिन का नहीं है, यह लंबा चलने वाला है. बहुत मजबूत होगा और बहुत दूरगामी परिणाम देने वाला होगा. यह आगे चलेगा. आदर्श जीवन और आदर्श राज्‍य व्यवस्था के लिए हम काम करते रहेंगे. काला धन राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी बड़ा खतरा है. इसे गंभीरता से लेना पड़ेगा. लोग कहते हैं कि 400 लाख करोड़ रु. कैसे जुटाए होंगे? क्या हसन अली जैसे 400 लोग या ए. राजा जैसे 250 लोग इस देश में नहीं हैं? यह छोटा-मोटा मुद्दा नहीं है. आप रीटेल सेक्टर से लेकर रियल एस्टेट तक जाइए, आपको दो-तीन गुना से लेकर पांच गुना तक काला धन मिलेगा. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी माना है कि दुनिया में 18 ट्रिलियन डॉलर कालाधन है.

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कहा जाता है कि भारतीय व्यवस्था से भ्रष्टाचार का पूरी तरह से उन्मूलन असंभव है.
इसीलिए हमने व्यवस्था को बदलने का मुद्दा उठाया है. हम इसे बहुत गंभीरता से लेकर चल रहे हैं. आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति से परे रहकर. हम इसको एक बड़े मुकाम तक ले जाना चाहते हैं. यही बड़ी चुनौती है हमारे सामने.

आपने एक लाख किलोमीटर की यात्रा अभी समाप्त की है. इस यात्रा में देश में नया क्या देखा आपने?
इस यात्रा में 10 करोड़ लोगों से संवाद करके मैंने पाया है कि आज भी उनके अंदर भरोसा जिंदा है. धर्म सत्ता और राज्‍य सत्ता के शिखर पर बैठे लोगों ने उसके विश्वास का बार-बार कत्ल किया है. इसके बावजूद वह आज भी आशान्वित है कि देश में अच्छा होगा.

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