scorecardresearch
 

लापता हेलीकॉप्‍टर की तलाश के लिए अभियान तेज

अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री दोरजी खांडू और चार अन्य लोगों को लेकर उड़ान भरने के बाद लापता हुए हेलीकॉप्टर की तलाश में सेना, सीमा सुरक्षा बल, भारत तिब्बत सीमा पुलिस और राज्य पुलिस ने रविवार सुबह संयुक्त मैदानी अभियान शुरू किया.

Advertisement
X
लापता हेलीकॉप्‍टर की तलाश
लापता हेलीकॉप्‍टर की तलाश

अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री दोरजी खांडू और चार अन्य लोगों को लेकर उड़ान भरने के बाद लापता हुए हेलीकॉप्टर की तलाश में सेना, सीमा सुरक्षा बल, भारत तिब्बत सीमा पुलिस और राज्य पुलिस ने रविवार सुबह संयुक्त मैदानी अभियान शुरू किया. खराब मौसम के कारण लापता हेलीकॉप्टर को तलाशने के हवाई अभियान में बाधा आ रही है.

Advertisement

रक्षा सूत्रों ने कहा कि भारतीय थलसेना की 30 टुकड़ियों को भारत-भूटान सीमा के आसपास मैदानी तौर पर तलाशी के लिए लगाया गया है, जिसमें तवांग और तेंगा से 2400 जवान मुहिम में लगे हैं. 25-25 जवानों के साथ आईटीबीपी के छह दल भी अभियान में शामिल हैं.

सेना की और भी टुकड़ियों को तलाशी के काम में लगाया जा सकता है, वहीं गुवाहाटी से दो चेतक हेलीकॉप्टर और तवांग से एक एमआई.17 आईएएफ हेलीकॉप्टर को अभियान में लगाया गया है.

नई दिल्ली में वायुसेना के अधिकारियों ने कहा कि बरेली से दो सुखोई-30 युद्धक विमानों को भेजा गया है, जिनमें लगे विशेष राडार की मदद से इलाके की छानबीन की जाएगी.

गौरतलब है कि सुखोई विमानों की मदद से ही सितंबर, 2009 में आंध्र प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी के लापता हेलीकॉप्टर के मलबे का पता लगाया गया था, जिसमें रेड्डी और चार अन्य लोगों की मौत हो गयी थी.

Advertisement

हेलीकॉप्टरों से रविवार सुबह साढ़े पांच बजे तलाशी अभियान शुरू किया जाना था, लेकिन खराब मौसम के चलते इस काम में तीन घंटे से अधिक देरी हो गयी. सूत्रों ने कहा कि पड़ोसी देश भूटान की तरफ से भी वहां सात जिलों में तलाशी अभियान शुरू कर दिया गया है. आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि तलाशी अभियान पर नजर रखने के लिए केंद्रीय मंत्री मुकुल वासनिक तथा वी. नारायणसामी नयी दिल्ली से इटानगर के लिए रवाना हो गये हैं.

चार सीटों तथा एकल इंजन वाला पवन हंस हेलीकॉप्टर एएस-बी350-बी-3 शनिवार सुबह नौ बजकर 56 मिनट पर तवांग से उड़ान भरने के 20 मिनट बाद लापता हो गया था. इस पर खांडू के साथ ही चालक दल के सदस्य कैप्टन जेएस बब्बर, कैप्टन टीएस मामिक, खांडू के सुरक्षा अधिकारी येशी चोडाक तथा तवांग के विधायक सेवांग धोनदुप की बहन येशी लहामु सवार थे.

इस हेलीकॉप्टर को पूर्वाह्न करीब साढ़े ग्यारह बजे इटानगर में उतरना था. गुवाहाटी वायु यातायात नियंत्रण ने कथित तौर पर सेला दर्रा इलाके के पास से हेलीकॉप्टर के अंतिम रेडियो संदेश प्राप्त किये. यह अंतिम संदेश हेलीकॉप्टर के तवांग से उड़ान भरने के 20 मिनट बाद प्राप्त हुआ था.

सेला दर्रा समुद्र के स्तर से करीब 13,750 फुट की उंचाई पर स्थित है जहां मौसम मिनटों के भीतर तेजी से बदल जाता है. भूटान में भारतीय राजदूत पवन वर्मा ने कहा कि भारत सरकार अभियान संचालित कर रही है और भूटानी अधिकारी उसमें हरसंभव सहयोग प्रदान कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘कल से भूटान की तरफ से सर्वाधिक सहयोग दिया जा रहा है.’’

Advertisement

उत्तर-पूर्व में पिछले पखवाड़े में हेलीकॉप्टर के संकट में फंसने की यह तीसरी घटना है. इससे पहले 19 अप्रैल को एक पवन हंस हेलीकॉप्टर तिब्बत सीमा से लगे तवांग पत्तन पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था जिसमें 17 लोगों की मौत हो गयी और इसमें सवार छह लोग घायल हो गये थे.

अरुणाचल में पहले भी अनेक विमान दुर्घटनाएं सामने आती रहीं हैं. नवंबर 1997 में तत्कालीन रक्षा राज्य मंत्री एनवीएन सोमू, मेजर जनरल रमेश नागपाल और दो अन्य लोगों की उस वक्त मौत हो गयी जब उनका चीता हेलीकॉप्टर तवांग से 40 किलोमीटर दूर 1300 फुट उंची एक चोटी से टकरा गया.

मई 2001 में अरुणाचल प्रदेश के शिक्षा मंत्री देरा नातुंग और पांच अन्य लोगों की मौत भी हेलीकॉप्टर हादसे में हुई. इसमें उनका पवन हंस हेलीकॉप्टर तवांग के पास खराब दृश्यता के चलते दुर्घटना का शिकार हुआ.

वर्ष 2009 में भारतीय वायु सेना का एएन-32 विमान मेचुंका में दुर्घटनाग्रस्त हो गया जिसमें सवार सभी 13 रक्षाकर्मियों की मौत हो गयी. पिछले साल 19 नवंबर को उड़ान भरने के महज एक मिनट बाद ही वायु सेना का एमआई-17 हेलीकॉप्टर चीन सीमा के निकट हादसे का शिकार हुआ, जिसमें वायुसेना के 11 जवान तथ सेना के एक लेफ्टिनेंट कर्नल की जान चली गयी.

Advertisement
Advertisement