अपहृत जिलाधीश आर वी कृष्णा और एक कनिष्ठ इंजीनियर के जुड़े नक्सलियों की मांग के संबंध में उड़ीसा सरकार की दो दिनों की समयसीमा को बढाने की अपील के बाद माओवादियों ने इसकी मियाद को अनिश्चितकाल के लिए बढ़ा दिया है."/> अपहृत जिलाधीश आर वी कृष्णा और एक कनिष्ठ इंजीनियर के जुड़े नक्सलियों की मांग के संबंध में उड़ीसा सरकार की दो दिनों की समयसीमा को बढाने की अपील के बाद माओवादियों ने इसकी मियाद को अनिश्चितकाल के लिए बढ़ा दिया है."/> अपहृत जिलाधीश आर वी कृष्णा और एक कनिष्ठ इंजीनियर के जुड़े नक्सलियों की मांग के संबंध में उड़ीसा सरकार की दो दिनों की समयसीमा को बढाने की अपील के बाद माओवादियों ने इसकी मियाद को अनिश्चितकाल के लिए बढ़ा दिया है."/>
मलकानगिरि के अपहृत जिलाधीश आर वी कृष्णा और एक कनिष्ठ इंजीनियर के जुड़े नक्सलियों की मांग के संबंध में उड़ीसा सरकार की दो दिनों की समयसीमा को बढाने की अपील के बाद माओवादियों ने इसकी मियाद को अनिश्चितकाल के लिए बढ़ा दिया है.
इस बीच माओवादियों ने मलकानगिरि जिले को शेष उड़ीसा से जोड़ने वाले एक महत्वपूर्ण सड़क को बारूदी सुरंग विस्फोट से उड़ा दिया है.
गृह सचिव यू एन बहेरा ने बताया कि मलकानगिरी के जिलाधिकारी आरवी कृष्णा और कनिष्ठ अभियंता की रिहाई के लिये नक्सलियों द्वारा चुने गये दो मध्यस्थों प्रो. सोमेश्वर राव और प्रो. हरगोपाल (दोनों आंध्रप्रदेश के) से संपर्क किया गया है.
उन्होंने कहा कि कुछ लोगों के माध्यम से माओवादियों से सम्पर्क किये जाने के बाद अंतिम समय सीमा को बढ़ा दिया गया है. दोनों मध्यस्थों ने जोर दिया था कि इस विषय में कोई भी बातचीत करने से पहले अंतिम समय सीमा बढ़ायी जानी चाहिए. मध्यस्थों के शनिवार को राज्य की राजधानी पहुंचने की संभावना है.
सामाजिक कार्यकर्मा स्वामी अग्निवेश ने भी माओवादियों की ओर से अंतिम समयसीमा बढ़ाये जाने की बात कही है.
उड़ीसा में जिलाधीश अपहरण मामले पर केन्द्रीय गृह मंत्रालय लगातार नजर रखे हुए है और उसने राज्य सरकार को स्थिति से निपटने में पूरी मदद का आश्वासन दिया है.
सरकारी सूत्रों ने बताया कि केन्द्रीय गृह मंत्रालय उड़ीसा सरकार से लगातार संपर्क बनाए हुए है और स्थिति की हर घंटे निगरानी कर रहा है.
मुख्यमंत्री कार्यालय में काफी देर चली बैठक के बाद मुख्य सचिव बीके पटनायक ने संवाददाताओं को बताया, ‘ उन्होंने (माओवादियों) वार्ता के लिये तीन नाम दिए हैं. हमने प्रोफेसर सोमेश्वर राव और प्रो. हरगोपाल (दोनों आंध्रप्रदेश से) से संपर्क स्थाापित किया है.’ मुख्य सचिव ने कहा कि दोनों मध्यस्थों ने 30 साल के आईएस अधिकारी कृष्णा और कनिष्ठ अभियंता पवित्र मांझी को अगवा करने वाले नक्सलियों से दो दिनों की समयसीमा बढाने की राज्य सरकार के आग्रह को स्वीकार किया है .
उड़ीसा के मलकानगिरी जिले के अपहृत जिलाधिकारी की सुरक्षित रिहाई के मुद्दे पर माओवादियों से बातचीत करने के लिए राज्य सरकार की तरफ से नियुक्त किए गए समाज विज्ञानी हरगोपाल ने माओवादियों से उनकी मांगों को पूरी करने के लिये तय समय सीमा को बढाने का आग्रह करने के साथ ही सरकार को एक शीर्ष माओवादी के सहायक को छोड़ने का सुझाव दिया है.
माओवादियों द्वारा अपहृत मलकानगिरी के जिलाधिकारी आरवी कृष्णा और एक अभियंता की रिहाई के लिए उड़ीसा के विभिन्न इलाकों में समाज के विभिन्न वर्ग के लोगों ने आज रैली का आयोजन किया.
मलकानगिरी के अलावा कोरापुट, नाबारंगपुर, गाजापाटी, कालाहांडी और कंधमाल जिलों में बड़ी संख्या में बुद्धिजीवियों, वकीलों, शिक्षकों और छात्रों ने शांति मार्च का आयोजन किया.
राजधानी में भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी ने एक हस्ताक्षर अभियान और कैंडल लाइट (मोमबत्ती जलाकर) प्रदर्शन का आयोजन किया जिसमें शामिल लोगों ने माओवादियों से जिलाधिकारी और कनिष्ठ अभियंता की रिहाई की अपील की.
नक्सलियों की सात सूत्री मांगों में नक्सल विरोधी संयुक्त अभियान पर रोक, बीएसएफ की वापसी, 700 आदिवासी नक्सलियों की रिहाई और आंध्र प्रदेश में पोलावरम सिंचाई परियोजना खत्म करने की मांग शामिल है. नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग मानते हुए संयुकत अभियान को रोक दिया गया है. नयी दिल्ली में स्वामी अग्निवेश ने कहा कि अगर मुख्यमंत्री नवीन पटनायक उनसे खुद संपर्क करते हैं और राज्य सरकार जेल में बंद आदिवासियों को रिहा करने को इच्छुक हो तो वह मध्यस्थता करने को तैयार हैं.
मुख्य सचिव ने कहा कि सरकार माओवादियों की मांगों पर विचार करेगी. उन्होंने कहा, ‘बातचीत के दौरान कई मांगे चर्चा में आ सकती हैं. हम बातचीत को तैयार हैं.’ सात व्यक्तियों की रिहाई की माओवादियों की मांग को क्या सरकार मानेगी, यह पूछे जाने पर मुख्य सचिव ने कहा, ‘मध्यस्थों के साथ बातचीत के दौरान इन सब पर चर्चा होगी.’
माओवादियों से समयसीमा बढाने के लिये मुख्यमंत्री ने भी अपील की. पटनायक ने कहा, ‘हमनें उनके कब्जे में बंद जिलाधिकारी और कनिष्ठ अभियंता को कोई नुकसान नहीं पहुंचाने की अपील की है.’ इसबीच, सामाजिक विज्ञानी हरगोपाल ने एक टीवी चैनल को कहा कि माओवादियों द्वारा तय की गई समयसीमा बढाया जाना बातचीत की पहली जरूरत है.