इंजीनियरिंग संकाय में दाखिले के लिए साझा प्रवेश परीक्षा के नये प्रारूप पर असंतोष व्यक्त करते हुए सुपर 30 के संस्थापक आनंद कुमार ने कहा कि अच्छे इरादे के बावजूद परीक्षा का नया प्रारूप अत्यंत जटिल है और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले बहुसंख्य छात्रों को नुकसान उठाना पड़ेगा.
आनंद कुमार ने कहा, ‘जब एम्स जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में दाखिले के लिए ‘एक परीक्षा’ ली जाती है, ऐसे में इंजीनियरिंग की परीक्षा को इतना जटिल बनाने की क्या जरूरत थी.’
उन्होंने कहा कि परीक्षा में प्रस्तावित सुधार के तहत 12वीं कक्षा के परिणाम को तवज्जो देना और पर्सेंटाइल के आधार पर इसे व्यवस्थित करना गंभीर चुनौती होगी क्योंकि सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड के स्कूलों में काफी अंतर देखा गया है. वहीं राज्य बोर्ड के मापदंड अलग अलग हैं. कुमार ने कहा कि नये प्रारूप से छात्रों को कोचिंग पर अधिक से अधिक निर्भर रहना पड़ेगा क्योंकि उन्हें तीन परीक्षाओं को ध्यान में रखना होगा.
आनंद कुमार ने कहा कि विषय आधारित जांच, एडवांस टेस्ट और 12वीं कक्षा में प्राप्त अंक को महत्व दिया जाता है, तो कोचिंग की व्यवस्था खत्म होने की बजाए तीन नये तरह के कोर्स की शुरूआत होगी. उन्होंने कहा कि कोचिंग संस्थान 12वीं कक्षा की पढ़ायी के लिए अलग कोर्स, विषय आधारित परीक्षा के लिए अलग और एडवांस टेस्ट के लिए अलग कोर्स शुरू करेंगे.
उन्होंने कहा, ‘सम्पन्न घरों के बच्चे महंगे कोचिंग संस्थानों का खर्च वहन कर लेंगे लेकिन गरीब घर के बच्चे पीछे छूट जायेंगे.’ कुमार ने कहा कि 12वीं कक्षा के अंक को अगर आईआईटी परीक्षा में महत्व दिया जायेगा तो सबसे अधिक समस्या विभिन्न बोर्डों के मापदंडों को लेकर आ सकती है.
सुपर30 के संस्थापक ने कहा कि अगर एक परीक्षा ली जाती है तब छात्रा पूरा ध्यान रखकर परीक्षा की तैयारी करेंगे. उन्होंने कहा कि अगर बेहतर माध्यतिक शिक्षा प्रदान करनी है तब स्कूली प्रणाली में विश्वास बढ़ाना होगा और स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ानी होगी.