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नौसेना के बेड़े में शामिल हुआ आईएनएस शिवालिक

भारत ने दुश्मनों के रेडार की पकड़ में नहीं आने वाले आधुनिकतम उपकरणों से लैस देश में बने अपने पहले युद्धपोत आईएनएस शिवालिक को नौसेना में आज शामिल किया. इसके साथ ही देश उन विकसित देशों के विशिष्ट क्लब में शामिल हो गया है जिनके पास इस प्रकार की क्षमता है.

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भारत ने दुश्मनों के रेडार की पकड़ में नहीं आने वाले आधुनिकतम उपकरणों से लैस देश में बने अपने पहले युद्धपोत आईएनएस शिवालिक को नौसेना में आज शामिल किया. इसके साथ ही देश उन विकसित देशों के विशिष्ट क्लब में शामिल हो गया है जिनके पास इस प्रकार की क्षमता है.

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रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने तीन पोत का निर्माण करने वाली परियोजना-17 पोत के तहत मुंबई की मंझगांव गोदी में निर्मित पहले पोत ‘आईएनएस शिवालिक’ को नौसेना में शामिल करते हुए इसे सशस्त्र बलों के लिए अविस्मरणीय दिवस करार दिया.

इस युद्धपोत की लंबाई 143 मीटर है और इसका वजन 6000 टन है. इस युद्धपोत में आधुनिकतम नियंत्रण प्रणालियां और रेडार की पकड़ में आने से बचने की तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. ऐसे युद्धपोत बनाने की क्षमता रखने वाले अन्य देशों में अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, फ्रांस, चीन, जापान और इटली शामिल हैं.

एंटनी ने नये युद्धपोत को नौसेना में शामिल करने के अवसर पर कहा कि नौसेना, सशस्त्र बलों और देश की जहाजरानी उद्योग के लिए यह एक अविस्मरणीय दिन है. हम अपने आपको वास्तव में सशस्त्र बल मान सकते हैं और चूंकि हमारी तटरेखा काफी बड़ी है, इसलिए नौसेना को लगातार सतर्कता बरतनी है. उन्होंने कहा कि हमें हमेशा संचालनगत तत्परता बनाये रखनी होगी. केवल एक पेशेवर नौसेना ही इसकी सभी चुनौतियों का मुकाबला कर सकती है.{mospagebreak}नौसेना में फिलहाल 130 युद्धपोत हैं जिसमें एक विमानवाहक पोत, 20 लैंडिंग पोत, आठ डेस्ट्रायर्स, 12 नौकाएं और 16 लड़ाकू पनडुब्बियां शामिल हैं. इन्हें चार कमान में तैनात किया गया है जिनका मुख्यालय मुंबई (पश्चिमी नौसेना कमान), विशाखापत्तनम (पूर्वी नौसेना कमान), कोच्चि (दक्षिणी नौसेना कमान) और पोर्ट ब्लेयर (अंडमान निकोबार संयुक्त कमान) में है.

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शिवालिक श्रेणी के युद्धपोत बहुआयामी चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हैं और इनमें विभिन्न प्रकार की आधुनिकतम तकनीकें हैं. इसमें हवा, सतह और सतह के नीचे निगरानी करने के लिए संवेदक, सहायक इलेक्ट्रोनिक उपकरण और प्रतिरोधी उपकरण सहित अनेक उपकरण हैं.

यह युद्ध पोत करीब 143 मीटर लम्बा है और 250 नौसैनिकों को एक साथ ले जाने की क्षमता रखता है. यह युद्ध पोत 29 समुद्री मील प्रति घंटा की रफ्तार से चल सकता है. कल्ब और ब्रह्मोस मिसाइल से लैस इस युद्ध पोत के निर्माण में 2300 करोड़ रूपये की लागत आयी है.

इस युद्ध पोत के निर्माण की शुरूआत 2002 में हुई थी और यह आठ साल में काफी तेजी से बनकर पूरा हो गया. इसे बनाने में लगा समय दुनिया के दूसरे मुल्कों के टक्कर की है और साथ ही इसे बनाने की लागत दूसरे देशों के इस तरह के युद्ध पोत के मुकाबले एक चौथाई है.

इस श्रेणी के बाकी दो पोत ‘आईएनएस सतपुड़ा’ और ‘आईएनएस सहयाद्री’ को आने वाले वर्षो में नौसेना में शामिल किया जाएगा शिवालिक श्रेणी का दूसरा जंगी पोत नवंबर 2010 में तैयार हो जाएगा, जबकि इस श्रेणी का अंतिम पोत अगले साल के मध्य तक तैयार हो जाएगा.

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