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आईएसआई अधिकारियों ने दी ट्रेनिंग: हेडली

पाकिस्तान की ओर से मुंबई हमले में सरकारी स्तर की संलिप्तता से इंकार किए जाने के बाद एक बार फिर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के इस हमले में सीधे तौर पर शामिल होने की बात सामने आई है. लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली का कहना है कि उसे आईएसआई के कई अधिकारियों और ‘गैर कमिशंड अधिकारियों’ (एनसीओ) ने सैकड़ों सत्रों में आतंक का प्रशिक्षण दिया था.

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पाकिस्तान की ओर से मुंबई हमले में सरकारी स्तर की संलिप्तता से इंकार किए जाने के बाद एक बार फिर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के इस हमले में सीधे तौर पर शामिल होने की बात सामने आई है. लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली का कहना है कि उसे आईएसआई के कई अधिकारियों और ‘गैर कमिशंड अधिकारियों’ (एनसीओ) ने सैकड़ों सत्रों में आतंक का प्रशिक्षण दिया था.

हेडली को लाहौर में आईएसआई की एक दो मंजिला इमारत में प्रशिक्षित किया गया था. उसे यहां खासतौर पर मुंबई में अपनी पहचान छिपाए रखने और भारतीयों के दिल में जगह बनाने की हुनर सिखाया गया. पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी नागरिक हेडली ने शुरुआत में लश्कर से प्रशिक्षण लिया, लेकिन आईएसआई का मेजर इकबाल उसके आतंकी प्रशिक्षण से संतुष्ट नहीं था. इसके बाद उसे लाहौर में अत्याधुनिक प्रशिक्षण दिया गया. इसमें आईएसआई के कई अधिकारियों और एनसीओ ने मदद की.

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मुंबई हमले के आरोपों से बरी किए गए तहव्वुर हुसैन राणा के खिलाफ सुनवाई में बतौर गवाह हेडली ने शिकागो की अदालत को बताया, ‘मैंने मेजर इकबाल के साथ बैठक की थी. इसमें इस बात पर चर्चा की गई कि लश्कर मुंबई की टोह लेने के लिए मेरा इस्तेमाल करना चाहता है.’ हेडली ने कहा, ‘मेजर इकबाल ने कहा कि वह मुझे ऐसा प्रशिक्षण देना चाहता है जो ज्यादा महत्वपूर्ण है. उसने मुझे आईएसआई के लिए जासूसी करने का काम करने के लिए कहा था.

इस आतंकवादी के मुताबिक उसने अदालत को बताया, ‘मेजर इकबाल ने लश्कर के प्रशिक्षण पर नाखुशी जाहिरी की. उसने कहा था कि यह पर्याप्त नहीं है.’ हेडली की गवाही के मुताबिक आईएसआई के अधिकारियों ने सत्यता प्रमाणित करने का खुफिया प्रशिक्षण, इसके लिए झूठी कहानी गढ़ने का हुनर और शहरी इलाकों की टोह लेने का प्रशिक्षण खासतौर पर दिया था. अदालत में दिए उसके बयान में कहा गया है, ‘आईएसआई के प्रशिक्षण में बताया गया कि प्रमुख स्थानों की किस तरह से वीडियो बनाई जाए, जिससे किसी को शक न हो. जासूसी के दूसरे गुर भी सिखाए गए.’

हेडली से पूछा गया कि वह प्रमुख स्थानों पर कितनी देर ठहरता था? उसने जवाब दिया, ‘हर जगह के लिए अलग-अलग समय था. मैं कई स्थानों पर सैकड़ों बार गया था.’ उससे पूछा गया, ‘मेजर इकाबल ने तुमको जो प्रशिक्षण दिया है, यह जेम्स बांड से तो नहीं मिलता है?’ हेडली ने इसका हां में जवाब दिया. हेडली ने कहा, ‘मुझे भारत जाना था और इससे पहले मैंने अपना नाम (दाउद गिलानी) बदलने का आवेदन किया.’

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हेडली के नाम बदलने की जानकारी जब मेजर इकबाल को मिली तो वह बहुत खुश हुआ. हेडली नाम बदलकर भारत जाना चाहता था ताकि उसके मंसूबों के बारे में किसी को भनक न लगे. आईएसआई के लश्कर और जैश-ए-मोहम्मद के साथ रिश्तों के बारे में पूछे जाने पर हेडली ने अदालत को बताया, ‘मुझे लगता है कि ये आतंकवादी संगठन आईएसआई की छत्रछाया में अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं. ये आतंकवादी संगठन एकदूसरे से सहयोग करते हैं और इन्हें आईएसआई का पूरा सहयोग मिलता है.’

हेडली ने कहा कि वह आईएसआई के अधिकारियों के सांकेतिक शब्दों का इस्तेमाल करता था. मसलन, फोन पर आईएसआई का नाम लेने की बजाय वह इसे ‘मिस्टर बालाज कंपनी’ कहता था. मुंबई हमले के संदर्भ में हेडली पहले ही अपने गुनाह कबूल कर चुका है. उसने कहा कि लाहौर हवाई अड्डे के निकट एक घर में उसे प्रशिक्षण दिया गया. आईएसआई ने यह प्रशिक्षण उसे भारत में हमलों के मकसद से दिया था.

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