ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान पीएसएलवी सी 15 ने आज सुबह यहां स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित होने के बाद रिमोट सेंसिग उपग्रह काटरेसेट-2 बी समेत पांच उपग्रहों को उनकी कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया.
चार चरण वाले 44. 4 मीटर लंबे पीएसएलवी सी 15 को 51 घंटे की उलटी गिनती पूरी होने के बाद आज सुबह नौ बज कर 22 मिनट पर प्रक्षेपित किया गया. तेज आवाज के साथ बादलों को चीरता हुआ यह राकेट आसमान की ओर रवाना हो गया. इस प्रक्षेपण पर कुल 260 करोड़ रूपये की लागत आई.
पीएसएलवी ने रिमोट सेंसिंग उपग्रह ‘काटरेसेट. 2 बी’ के अलावा चार उपग्रहों को एक के बाद एक उनकी कक्षा में स्थापित किया. इन उपग्रहों में अल्जीरिया का अलसैट, कनाडा और स्विट्जरलैंड के एक-एक नैनो उपग्रह और आंध्र प्रदेश तथा कर्नाटक के सात इंजीनियरिंग छात्रों द्वारा निर्मित काफी छोटा उपग्रह ‘स्टुडसेट’ शामिल हैं.
इसरो के अध्यक्ष डा. के राधाकृष्णन के नेतृत्व में वैज्ञानिकों का दल उपग्रह के सफल प्रक्षेपण पर बेहद खुश नजर आये. पीएसएलवी का सफल प्रक्षेपण काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
इससे पहले 15 अप्रैल को जीएसएलवी का प्रक्षेपण असफल हो गया था. इसमें पहली बार भारत द्वारा डिजाइन तथा बनाया गया क्रायोजनिक इंजन लगा था. जीएसएलवी का प्रक्षेपण असफल रहने के बाद वह बंगाल की खाड़ी में जा गिरा. इसरो निर्मित काटरेसेट-2बी एक अत्याधुनिक रिमोट सेंसिग उपग्रह है. यह भारतीय रिमोट सेंसिंग उपग्रह श्रृंखला का 17 वां उपग्रह है. इस उपग्रह का निर्माण मुख्यत: रिमोट सेंसिंग सेवाओं के लिये आंकड़े इकट्ठा करने के लिये किया गया है.
काटरेसेट-2 और 2ए दो दो भारतीय रिमोट सेंसिंग उपग्रह इस समय अंतरिक्ष में हैं और इस प्रकार की सेवायें दे रहे हैं. योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया और इसरो के पूर्व प्रमुख डा. के कस्तूरीरंगन प्रक्षेपण के समय मौजूद थे.
अहलूवालिया ने वैज्ञानिकों को बधाई देते हुये कहा, ‘‘ यह एक बेहतरीन अनुभव था. इसरो ने भारत का सिर गर्व से उंचा किया है.’’ काटरेसेट-2बी पैन्क्रोमेटिक कैमरा लगा है जो 9.6 किलोमीटर की पट्टी को इमैजिंग करने में समर्थ है. इस कैमरे द्वारा भेजी गई तस्वीरें गांवों का अनुमान लगाने, नक्शा बनाने, शहरी आधारभूत ढांचे और यातायात प्रणाली की योजना बनाने में बहुत मदद मिलेगी.
पीएसएलवी ने 1994 से 2009 के बीच 17 भारतीय तथा 22 विदेशी उपग्रहों को उनकी कक्षा में स्थापित किया है. इसरो सूत्रो ने बताया कि पीएसएलवी में इस बार ड्यूअल लांच अडप्टर लगाया गया है ताकि दो बड़े उपग्रहों को ले जाया जा सके.