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भारत ने किया संचार उपग्रह जीसैट का सफल प्रक्षेपण

अंतरिक्ष अभियान के क्षेत्र में एक और मील का पत्थर स्थापित करने हुए भारत ने अत्याधुनिक संचार उपग्रह जीसैट-12 का श्रीहरिकोटा से स्वदेश निर्मित ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान पीएसएलवी-सी17 से अंतरिक्ष में सफल प्रक्षेपण किया.

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अंतरिक्ष अभियान के क्षेत्र में एक और मील का पत्थर स्थापित करने हुए भारत ने अत्याधुनिक संचार उपग्रह जीसैट-12 का श्रीहरिकोटा से स्वदेश निर्मित ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान पीएसएलवी-सी17 से अंतरिक्ष में सफल प्रक्षेपण किया.

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उच्च क्षमता वाले 12 ट्रांसपॉन्‍डर युक्त जीसैट-12 उपग्रह का जीवनकाल करीब आठ वर्ष है. पीएसएलवी के साथ इसपर करीब 200 करोड़ रुपये का खर्च आया है. उम्मीद की जा रही है कि इससे देश को ट्रांसपॉन्‍डरों की कमी से निजात मिल सकेगी.

करीब 53 घंटे की उल्टी गिनती के बाद शाम चार बजकर 48 मिनट पर सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे प्रक्षेपण स्थल से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का राकेट पीएसएलवी आकाश के सीने को चिरता हुए आगे बढ़ा और 20 मिनट बाद ही 1,410 किलोग्राम का जीसैट.12 को कक्षा में पहुंचा दिया गया. जीसैट-12 से टेलीमेडिसिन और टेली ऐजुकेशन समेत विभिन्न संचार सेवाओं के लिए ट्रांसपॉन्‍डर की उपलब्धता बढ़ाने में मदद मिलेगी.

जीसैट-12 के प्रक्षेपण के बाद भारत के 175 ट्रांसपॉन्‍डर हो जायेंगे लेकिन अभी भी इसरो के 2012 तक 500 ट्रांसपांडर के लक्ष्य से पीछे है जिसके माध्यम से दूरसंचार, डायरेक्ट टू होम और वी सैट परिचालन के क्षेत्र में बढ़ती मांगों को पूरा करने में मदद मिलेगी.

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सफल प्रक्षेपण से प्रफुल्लित नजर आ रहे इसरो के अध्यक्ष के राधाकृष्णन ने इसकी घोषणा करते हुए कहा, ‘मुझे यह बताते हुए काफी खुशी हो रही है कि पीएसएलवी-सी17 जीसैट-12 अभियान सफल रहा. प्रक्षेपण यान ने काफी सटीक ढंग से उपग्रह को उपयुक्त कक्षा में भेज दिया.’ अपने लगातार 18वें सफल अभियान में पीएसएलवी बादल भरे आसमान को चीरता हुआ आगे बढ़ा और उपग्रह के कक्षा में पहुंचने के बाद नियंत्रण कक्ष में मौजूद वैज्ञानिकों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा.

इसरो के अध्यक्ष राधाकृष्णन ने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जीसैट-12 के सफल प्रक्षेपण के लिए इसरो की पूरी टीम को बधाई दी है. राधाकृष्णन ने कहा कि आने वाले महीने में इसरो पीएसएलवी के कई मिशनों को आगे बढ़ायेगा और कई उपग्रहों का प्रक्षेपण करेगा.

वहीं, इसरो की इस उपलब्धि पर बधाई देते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री वी नारायणसामी ने कहा कि इससे देश को और ट्रांसपॉन्‍डरों की जरूरत को पूरा करने में मदद मिलेगी. जीसैट-12 को पृथ्वी के सबसे करीबी बिन्दू 284 किलोमीटर और सबसे दूर के बिन्दू 21 हजार किलोमीटर के दीर्घवृताकार स्थानांतरण कक्षा में भेजा गया है. इसी तरह, यान में लगा तरल दूरस्थ मोटर उपग्रह (एलएएमएस) को वृताकार कक्षा में स्थापित करने में उपयोग में लाया जायेगा.

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जीसैट का उद्देश्य इनसैट प्रणाली की क्षमता को मजबूत बनाना है ताकि दूरस्थ शिक्षा, दूरस्थ चिकित्सा और ग्राम संसाधन केंद्र को उन्नत बनाया जा सके. जीसैट-12 को इनसैट 2ई और इनसैट 4ए के साथ स्थापित किया जायेगा.

साल 2002 में कल्पना 1 के बाद पीएसएलवी के 19 प्रक्षेपण में यह दूसरा मौका है जब संचार उपग्रह छोड़ने में इसका उपयोग किया गया है. इसरो ने इस प्रक्षेपण में उच्च क्षमता के 40 विन्यासों का उपयोग किया जिसमें छह ठोस मोटर लगे हुए हैं जो 12 टन ठोस प्रणोदक ले जा रहा है. इससे पहले पीएसएलपी के उड़ानों के लिए नौ टन प्रणोदक ले जाने का मानक रहा था.

जिस प्रकार के विन्यास का उपयोग जीसैट के प्रक्षेपण के लिए किया गया है, उस प्रकार के विन्यास का उपयोग साल 2008 में चंद्रयान के प्रक्षेपण के लिए किया गया था. अप्रैल और दिसंबर 2010 में जीएसएलवी की दो उड़ानों के विफल रहने के बाद इसरो ने अपने विश्वस्थ प्रक्षेपण यान पीएसएलवी को जीसैट-12 के प्रक्षेपण के लिए चुना. जीएसएलवी का प्रक्षेपण विफल रहने के कारण जीसैट-5 और जीसैट-5पी अभियान को बड़ा धक्का लगा था जिसके कारण ट्रांसपॉन्‍डर की कमी आ गई थी.

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