पाकिस्तान की सत्ताधारी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के एक नेता ने क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान खान पर 2002 में हुए जनमत संग्रह के दौरान पूर्व सैन्य शासक जनरल परवेज मुशर्रफ से चार करोड़ रुपये लेने का आरोप लगाया है.
गौरतलब है कि इसी जनमत संग्रह ने मुशर्रफ के शासन को वैध करार दिया था. पीपीपी के वरिष्ठ नेता और पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की गठबंधन सरकार में मंत्री राजा रियाज ने कहा ‘‘तानाशाही शासन कायम रखने के प्रयासों में अहम भूमिका के लिये खान ने जनरल मुशर्रफ से चार करोड़ रुपये लिए.’’ रियाज ने यह आरोप भी लगाया कि पाकिस्तान की तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के मुखिया खान ने मुशर्रफ शासनकाल के दौरान अपने रिश्तेदारों को पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड में नौकरी पर भी रखवाया था.
उन्होंने कहा ‘‘खान की ओर से समर्थन दिए जाने के कारण मुशर्रफ ने उनका एहसान चुकाया.’’ रियाज ने इल्जाम लगाया कि हर वक्त जम्हूरियत की बातें करने वाले खान असल में इसके खिलाफ साजिश रच रहे हैं. बहरहाल, खान की पार्टी ने रियाज के आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि इस तरह का आरोप लगाने वाले मंत्री को वह अदालत तक घसीटेगी.
इधर कुछ समय से इमरान खान पीपीपी के मुखिया और राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और केन्द्र की पीपीपी नीत सरकार की आलोचना करते रहे हैं. खान ने हाल में कहा था कि ‘राष्ट्रीय मेलमिलाप अध्यादेश’ (एनआरओ) को रद्द किए जाने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू कराने के लिए पाकिस्तानी सेना की मदद लेनी चाहिए.
इस अध्यादेश के तहत आपराधिक मामलों में फंसे जरदारी और 8,000 अन्य लोगों को क्षमादान दे दिया गया था. खान मध्यावधि चुनावों की भी वकालत करते रहे हैं क्योंकि उनका मानना है कि देश को संकट से निकालने के लिए उनकी पार्टी ही एकमात्र विकल्प है. फरवरी 2008 में हुए आम चुनावों का खान की पार्टी ने बहिष्कार किया था.