इस साल फरवरी में जब भारतीय सेना के चिकित्सकीय दल पर हमला किया गया तो मेजर मिताली मधुष्मिता अपनी जान की परवाह किए बिना गोलीबारी के बीच अपने साथियों का जान बचाने चली गईं.
उनकी अद्वितीय बहादुरी के लिए उन्हें वीरता के लिए सेना पदक से सम्मानित किया गया है. सेना पदक पाने वाली वह पहली महिला बन गई हैं. स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने जो वीरता पदकों की घोषणा की उसमें पुरस्कार जीतने वालों में उनका नाम भी शामिल किया गया.
आर्मी एजुकेशन कोर की अधिकारी मेजर मिताली अफगानिस्तान में सेना के अंग्रेजी भाषा प्रशिक्षण दल का नेतृत्व कर रही थीं. वह नूर गेस्ट हाउस में पहुंचने वाली पहली सदस्य थीं. इस गेस्ट हाउस पर इस साल 26 फरवरी को आत्मघाती हमलावरों ने हमला किया था और उसे क्षतिग्रस्त किया था.