केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने गुरुवार को कहा कि साइबर स्पेस आतंकवादियों के हाथ में एक नये हथियार के रूप में सामने आया है क्योंकि वे सोशल नेटवर्किंग साइटों का इस्तेमाल कर अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए अफवाहें फैलाते हैं, इससे देश में सुरक्षा बलों के समक्ष एक नयी चुनौती उत्पन्न हो रही है.
शिंदे ने देश के शीर्ष पुलिस अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि इस बात के सबूत अब ज्यादा मिल रहे हैं कि आतंकवादी साइबर-स्पेस का सहारा ले रहे हैं. बैंगलोर, महाराष्ट्र के पुणे तथा देश के अन्य राज्यों में हाल में हुई घटनाओं ने एक नयी चुनौती खड़ी की हैं जिसमें अफवाहें फैलाने के साथ ही सोशल नेटवर्किंग मीडिया का गैर-जिम्मेदार उपयोग किया गया.
गत एक अगस्त को गृह मंत्री का पद संभालने वाले शिंदे ने कहा कि साइबर-स्पेस संचार के लिए व्यापक बुनियादी ढांचा मुहैया करा रहा है. यह उन अनिष्ट चाहने वालों के लिए मददगार साबित हो रहा है जो इसके जरिए नयी भर्तियां करने के साथ ही वास्तविकता के परे एक विकृत व्यवस्था तैयार करना चाहते हैं.
शिंदे ने गुप्तचर ब्यूरो के तत्वावधान में पुलिस महानिदेशकों एवं महानिरीक्षकों के लिए आयोजित तीन दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि इस माध्यम में इस्तेमालकर्ता के पहचान छुपाने का प्रयास कभी कभी सबसे अनुभवी पुलिस जांचकर्ता की क्षमताओं की भी परीक्षा ले सकता है. पुलिस बलों को इस क्षेत्र में दुर्भावनापूर्ण सामग्री का पता लगाने के साथ ही ऐसी सामग्री लगाने के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान करने के लिए भी कौशल विकसित करना होगा.
उन्होंने अपने संबोधन में राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक केंद्र (एनसीटीसी) का कोई उल्लेख नहीं किया. उन्होंने सुरक्षा एजेंसियों से कहा कि वे पाकिस्तान स्थित इस्लामी समूहों की नियंत्रण रेखा से आतंकवादियों की घुसपैठ कराने की लगातार कोशिश से निपटने के लिए गुप्तचर सूचना के प्रत्येक हिस्से पर ‘शीघ्र ध्यान’ देना चाहिए.
उन्होंने कहा कि मैं आपसे कहना चाहता हूं कि आप गुप्तचर सूचना के प्रत्येक हिस्से पर तत्काल ध्यान देने के साथ ही आतंकवाद से उत्पन्न होने वाले खतरे से निपटने की क्षमताएं विकसित करें. इसके साथ ही अनुभव साझा करते हुए सहयोग का एक ऐसा माहौल बनाएं जिसमें केंद्रीय एजेंसियां और राज्य पुलिस के बीच कोई भेदभाव नहीं हो क्योंकि दोनों का समान उद्देश्य है आतंकवाद का खात्मा.
शिंदे ने जनवरी 2011 से अभी तक देश में 19 आतंकवादी माड्यूलों का भंडाफोड़ करने के लिए एजेंसियों की प्रशंसा की. उन्होंने वाम चरमपंथ पर कहा कि नक्सलवाद अभी भी बड़ी चुनौती बना हुआ है. माओवादियों के बड़े समूहों में घूमने , जन अदालतें लगाने, मार्ग में बाधा उत्पन्न करने और उगाही करने से उनकी क्षमता का स्तर प्रदर्शित होता है.