वीवीएस लक्ष्मण की जुझारू पारी और गेंदबाजों के लाजवाब प्रदर्शन की बदौलत डरबन में जीत दर्ज करने के बाद भारत दो जनवरी से केपटाउन के उस न्यूलैंड्स मैदान पर जीत के साथ दक्षिण अफ्रीका में पहली बार श्रृंखला अपने नाम करने उतरेगा जो मेजबान टीम के लिए बहुत भाग्यशाली नहीं रहा है.
तीन मैचों की श्रृंखला अभी 1-1 से बराबर चल रही है जिससे न्यूलैंड्स में दो जनवरी से शुरू होने वाला तीसरा और अंतिम टेस्ट निर्णायक बन गया है. भारत के लिए यह अच्छी खबर है कि दक्षिण अफ्रीका के सबसे पुराने और खूबसूरत मैदानों में शुमार न्यूलैंड्स पर मेजबान टीम का प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं रहा है और टीम इंडिया इसी से प्रेरणा लेते हुए यहां जीत के साथ दक्षिण अफ्रीका की सरजमीं पर पहली बार जीत दर्ज करने के इरादे से उतरेगी.
न्यूलैंड्स पर दक्षिण अफ्रीका को 45 मैचों में केवल 17 में जीत मिली है जबकि 19 बार उसे हार का मुंह देखना पड़ा. इस मैदान पर खेले गये नौ मैच बराबरी पर छूटे. दक्षिण अफ्रीका को इस मैदान पर सर्वाधिक नौ-नौ बार इंग्लैंड और आस्ट्रेलिया ने मात दी है जबकि एक बार उसे न्यूजीलैंड के हाथों भी हार का सामना करना पड़ा. {mospagebreak}
मार्च 1989 में पहले टेस्ट की मेजबानी करने वाले न्यूलैंड्स पर दक्षिण अफ्रीका ने पहली जीत मार्च 1906 को दर्ज की जब उसने इंग्लैंड को पारी और 16 रन के अंतर से हराया. मेजबान टीम को हालांकि इससे पहले लगातार छह मैचों में शिकस्त का मुंह देखना पड़ा. पिछले 19 मैचों में हालांकि यहां दक्षिण अफ्रीका का रिकार्ड अच्छा रहा है और उसने 14 मैच जीते और केवल दो में उसे हार मिली.
मेजबान टीम को दोनों बार आस्ट्रेलिया के हाथों हार का सामना करना पड़ा. दूसरी तरफ इस मैदान पर भारत का रिकार्ड बहुत अच्छा नहीं है और उसे तीन मैचों में से दो में हार झेलनी पड़ी जबकि एक मैच बराबरी पर छूटा.
दक्षिण अफ्रीकी सरजमीं पर डरबन में केवल दूसरी जीत दर्ज करने के बाद भारत की नजरें केपटाउन में जीत के साथ यहां पहली बार टेस्ट श्रृंखला अपने नाम करने पर भी टिकी हैं लेकिन उसके इस अभियान में महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर के अलावा अनुभवी राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण और तेज गेंदबाज जहीर खान और हरभजन सिंह को भी अहम भूमिका निभागी होगी. {mospagebreak}
तेंदुलकर न्यूलैंड्स के मैदान से अच्छी तरह वाकिफ हैं और उन्होंने यहां भारत के सभी तीन मैचों में शिरकत करते हुए 65.80 की शानदार औसत के साथ 329 रन बनाये हैं जिसमें एक शतक और दो अर्धशतक शामिल हैं. द्रविड़ और लक्ष्मण हालांकि यहां खेले दो मैचों में अपनी छाप नहीं छोड़ पाये.
पिछले कुछ समय से खराब फार्म से जूझ रहे द्रविड़ ने यहां दो मैचों में 22.5 की औसत से 90 रन जोड़े हैं जबकि डरबन में दूसरी पारी में 96 रन बनाकर भारत की जीत में अहम भूमिका निभाने वाले लक्ष्मण के नाम यहां 21.33 की औसत से केवल 64 रन दर्ज हैं. टीम इंडिया को इन दोनों के अलावा वीरेंद्र सहवाग, गौतम गंभीर और मुरली विजय जैसे बल्लेबाजों से भी अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद होगी.
गेंदबाजों की बात करें तो केवल जहीर और एस श्रीसंत को ही यहां गेंदबाजी का अनुभव हैं. डरबन में भारत को सफलता दिलाने में अहम योगदान दिलाने वाले जहीर ने यहां एक मैच में पांच जबकि श्रीसंत ने दो विकेट चटकाये हैं. {mospagebreak}
भारत को हालांकि डरबन की सफलता के बाद इन दोनों तेज गेंदबाजों के अलावा हरभजन से भी अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद होगी. भारतीय गेंदबाजों की राह हालांकि आसान नहीं होगी क्योंकि दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाजों को न्यूलैंड्स की पिच काफी रास आती है. अनुभवी आलराउंडर जाक कैलिस ने यहां 17 मै़चों में 66.75 की औसत से सर्वाधिक 1602 रन बटोरे हैं जबकि कप्तान ग्रीम स्मिथ (1117 रन), मार्क बाउचर (678), एश्वेल प्रिंस (599), हाशिम अमला (486) और एबी डिविलियर्स (453) ने भी यहां खूब रन बटोरे हैं.
गेंदबाजी में भी दक्षिण अफ्रीका का पलड़ा भारी है. कैलिस ने यहां 17 मैचों में 37 विकेट अपने नाम किये हैं जबकि डेल स्टेन ने अपनी तूफानी गेंदों से सिर्फ छह मैचों में 21.78 की बेहतरीन औसत के साथ 33 विकेट चटकाये हैं. पाल हैरिस की फिरकी भी यहां खूब चली है और उन्होंने पांच मैचों में 20 विकेट अपने नाम किये हैं. यह भारत के लिए भी अच्छी खबर हो सकती है जिसके पास हरभजन जैसा विश्व स्तरीय आफ स्पिनर है.