चीन की बढती समुद्री महत्वकांक्षाओं को काबू करने के लिए नई दिल्ली के साथ रक्षा संबंधों को मजबूत करने की तोक्यो की इच्छा के अनुरूप भारत और जापान अगले साल पहला द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास करेंगे.
जापान की यात्रा पर गए रक्षा मंत्री ए के एंटनी और उनके जापानी समकक्ष यासुओ इचिकावा के बीच उच्चस्तरीय वार्ता में रक्षा संबंधों को मजबूत करना बड़े मुद्दों में शामिल था. जापान की समुद्री रक्षा बल और भारत की नौसेना के बीच अगले साल होने वाले युद्धाभ्यास की रूपरेखा आगे की बातचीत में तय की जाएगी.
संयुक्त युद्धाभ्यास का फैसला दक्षिण चीनी सागर में चीन की बढ़ती महत्वकांक्षा के जवाब में जापान के उठाए कदमों का नतीजा है. दक्षिणी चीनी सागर में चीन और अन्य देशों के बीच तनाव बढ़ गया है. समुद्री डकैती के खिलाफ संयुक्त प्रयासों को मजबूत करने के लिए भी दोनों देशों ने संयुक्त युद्धाभ्यास का फैसला किया है.
जापानी समकक्ष के साथ दिनभर की प्रतिनिधिमंडल स्तरीय वार्ता में एंटनी ने कहा कि दोनों देशों के बीच सैन्य संबंध ‘पारदर्शी’ और ‘क्षेत्र में शांति और समृद्धि की दिशा की ओर’ है. रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने उम्मीद जताई कि भविष्य में भारत जापान रक्षा सहयोग नयी उंचाइयों को छुएगा.
रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता सीताष्णु कार ने बताया, ‘दोनों पक्षों ने समुद्री मार्गो के महत्व को स्वीकार किया और समुद्री सुरक्षा के मामले में द्विपक्षीय और क्षेत्र के अन्य देशों के साथ मिलकर सहयोग और सलाह को आगे बढाने का भी फैसला किया.’
उन्होंने कहा, ‘दोनों पक्ष अगले साल यहां भारत जापान रक्षा नीति वार्ता की पहल करेंगे और उन्होंने योजना के अनुरूप रक्षा आदान प्रदान पर संतुष्टि जाहिर की जिसके तहत जापानी रक्षा मंत्री इस साल के अंत में नयी दिल्ली की यात्रा करेंगे.’
समुद्री डकैती के खिलाफ दोनों नौसैनिकों के बीच समन्वयन पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए एंटनी ने कहा कि नवबंर 2010 के बाद से पूर्वी अरब सागर में भारत ने अपनी तैनाती बढ़ा दी है. कार ने कहा कि दोनों पक्ष शांति रक्षा अभियानों में आदान प्रदान को जारी रखेंगे.
भारतीय प्रतिनिधिमंडल में रक्षा सचिव शशिकांत शर्मा, जापान में भारत के राजदूत आलोक प्रसाद, नौसेना उपप्रमुख वाइस एडमिरल आर के धवन और मध्य सेना कमांडर ले. जनरल वी के अहलूवालिया शामिल थे.