भारत-पाकिस्तान के बीच नई दिल्ली में 27 जुलाई को होने वाली विदेश मंत्री स्तरीय वार्ता को विशेषज्ञ विश्वास बहाली के नजरिये से उपयुक्त मानते हैं. वर्ष 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमले के दो साल के बाद इस साल फरवरी में दोनों देशों के बीच रुकी वार्ता बहाल हुई.
विदेश मंत्री स्तरीय इस बातचीत को लेकर भारतीय विशेषज्ञ हालांकि किसी बड़े मुद्दे के सुलझाये जाने के बारे में आशान्वित नहीं हैं, लेकिन उनका मानना है कि इस वार्ता से दोनों देश के बीच विश्वास बहाली के ठोस कदमों की ओर बढ़ा जा सकता है.
भारत पाक मामलों पर गहरी नजर रखने वाले कमर आगा ने बताया ‘‘भारत, पाकिस्तान पर कभी बातचीत करके और कभी बातचीत नहीं करके दबाव बनाता रहा है. इस बार पाकिस्तान पर बातचीत करने के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव है. इस बातचीत के जरिए आतंकवाद जैसे मुद्दों पर कुछ खास हासिल होने वाला नहीं है लेकिन वार्ता होनी चाहिए क्योंकि भारत अमन पसंद राष्ट्र है.’’
उन्होंने कहा ‘‘आतंकवाद, कश्मीर और ऐसे कई महत्वपूर्ण मुद्दों के अलावा हम छोटे-मोटे मुद्दों जैसे वीजा, व्यापार, एक दूसरे के जेल में बंद कैदियों की रिहाई, सर क्रीक और सियाचीन जैसे मुद्दों पर बातचीत के जरिए आगे बढ़ सकते हैं.’’
पाकिस्तान की नवनियुक्त पहली महिला विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार भारत के विदेश मंत्री एस एम कृष्णा से बातचीत करने के लिए नयी दिल्ली आ रही हैं. दूसरी तरफ पाकिस्तान में भारत के पूर्व राजनयिक जी पार्थसारथी मंत्री स्तरीय इस बातचीत के पक्षधर नहीं हैं.
उनका कहना है ‘‘हरेक तरह की बातचीत हो रही है जिसमें आतंकवाद को पीछे छोड़ दिया गया है. आतंकवाद पर बातचीत नहीं हो रही है. इस प्रक्रिया को मैं देशहित में नहीं समझता हूं.’’ उन्होंने कहा ‘‘पाकिस्तान ने हमें आश्वासन दिया था कि वह अपनी धरती से भारत विरोधी आतंकवादी गतिविधियां नहीं चलने देगा, लेकिन आज भी वहां यह सब हो रहा है. ऐसे में मैं बातचीत के खिलाफ हूं.’’ पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में पिछले महीने विदेश सचिव स्तरीय वार्ता हुयी थी जिसमें भारत की विदेश सचिव निरूपमा राव ने भाग लिया था.
रक्षा विशेषज्ञ सी उदय भास्कर ने बताया ‘‘आतंकवाद की चुनौती खत्म नहीं हुयी है लेकिन बातचीत होनी चाहिए क्योंकि समस्या तुरंत हल होने वाली नहीं है.’’ उन्होंने कहा ‘‘पाकिस्तान हुकूमत ने आतंकवाद और दहशतगर्दी को समर्थन देना बंद नहीं किया है लेकिन बातचीत का कोई विकल्प नहीं हैं.’’ नयी दिल्ली में 27 जुलाई को दोनों विदेश मंत्रियों के बीच वार्ता होने से पहले सचिव स्तरीय वार्ता भी होगी.
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर कलीम बहादुर ने बताया ‘‘बातचीत के जरिए विश्वास के वातावरण को अच्छा बनाया जा सकता है. पृष्ठभूमि को अगर देखा जाए तो कोई बड़े मुद्दे हल हो जाएंगे ऐसा नहीं लगता, लेकिन जंग से बातचीत बेहतर है.’’
उन्होंने कहा ‘‘पाकिस्तान में आतंकवाद चल ही रहा है जो इस क्षेत्र के हित में और पाकिस्तान की तरक्की के लिए ठीक नहीं है.’’ पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव है और अमेरिका से उसके रिश्ते खराब हो गये हैं. ऐसे में उम्मीद की जा सकती है कि आगामी दिनों में पाकिस्तान, भारत के साथ बातचीत के जरिए किसी सार्थक नतीजों पर पहुंचने की कोशिश करेगा.