भारत और पाकिस्तान ने कश्मीर पर विश्वास बहाली के अतिरिक्त उपाय (सीबीएम) विकसित करने की घोषणा की है जिसमें नियंत्रण रेखा के आर पार व्यापार के दिन बढ़ाने तथा पर्यटन और धार्मिक यात्रा के पहलुओं को शामिल करते हुए यात्रा को बढ़ावा देना शामिल है.
विदेश मंत्री एस एम कृष्णा और उनकी पाकिस्तानी समकक्ष हिना रब्बानी खार के बीच ‘संतोषप्रद’ वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने जम्मू-कश्मीर के लोगों की नियंत्रण रेखा के दूसरी ओर यात्रा के लिए परमिट शर्तों को लचीला बनाने का भी फैसला किया. इसके तहत छह महीने के दौरान कई बार प्रवेश का तंत्र विकसित किया जाने की बात कही गई है.
दोनों मंत्रियों के बीच जम्मू-कश्मीर, आतंकवाद निरोधी उपाय, जिसमें पाकिस्तान में मुंबई हमले के हमलावरों पर चल रहे मुकदमे की प्रगति भी शामिल है, मानवतावादी मुद्दे, व्यावसायिक एवं आर्थिक सहयोग, वुल्लर बैराज-तुलबुल नौवहन परियोजना, सर क्रीक, सियाचिन, सीबीएम समेत शांति एवं सुरक्षा और दोस्ताना संबंधों को बढ़ावा देने पर बातचीत हुई.
दोनों पक्ष इस दौरान इस्लामाबाद में सितंबर, 2011 में परमाणु और परंपरागत सीबीएम पर विशेषज्ञ समूहों की पृथक-पृथक बैठक आयोजित कराने पर भी सहमत हुए. बातचीत के बाद जारी संयुक्त वक्तव्य में कहा गया, ‘दोनों मंत्रियों ने जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर बातचीत की और दोनों लगातार बातचीत की जरूरत पर सहमत हुए.
सार्थक और लगातार आगे देखने का रुख रखते हुए बातचीत करना, जिसका उद्देश्य मतभेदों को दूर करना और सहमति के बिंदु बनाना हो.’ बातचीत के बाद कृष्णा ने कहा, ‘मुझे कहना होगा कि मैं बहाल बातचीत के इस चरण की प्रगति से संतुष्ट हूं. इसके परिणाम हमारी अपेक्षाओं के अनुरूप रहे हैं. आगे की चुनौतियों के बारे में पूरी तरह जानते हुए, मैं विश्वास से कह सकता हूं कि हमारे संबंध सही दिशा में हैं.’ जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर कृष्णा ने कहा कि वह ‘मतभेद दूर करके और सहमति के बिंदु बनाकर’ शांतिपूर्ण समाधान निकालने का विचार रखते हुए बातचीत जारी रखेंगे.
बातचीत के परिणामों पर संतोष जताते हुए उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों ने फैसला किया है कि विदेश मंत्री 2012 के शुरूआती छह महीने में दोबारा मिलेंगे और इस दौरान वार्ता प्रक्रिया की प्रगति की समीक्षा की जाएगी.
विदेश मंत्री ने कहा, ‘हम एक-दूसरे को ध्यान से सुन रहे हैं और दोनों पक्षों की ओर से आ रहे विचारों और प्रस्तावों पर गंभीर विचार भी प्रकट कर रहे हैं. मुझे हमारे संबंधों की आगे की प्रक्रिया को लेकर पूरा विश्वास है, जिन्हें शांति प्रक्रिया की प्रगति, हमारे दोनों देशों और क्षेत्र की समृद्धि के लिए सामान्य करना ही होगा.’
खार ने कहा, ‘वाकई में यह दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग का नया जमाना है और आपसे (कृष्णा से) बातचीत के बाद हमारी इच्छा और खासकर मेरा विश्वास भी है कि दोनों सरकारें निर्बाध एवं सतत् प्रक्रिया की इच्छा मन में रखती हैं और उसके लिए कटिबद्ध हैं.’
उन्होंने कहा, ‘हमने पिछले पांच महीनों के दौरान विषय विशेष केंद्रित बैठकों पर संतोष प्रकट किया. हम इस बात पर सहमत हैं कि प्रक्रिया जारी रहनी चाहिए और हकीकत में वार्ता और रचनात्मक संबंध का कोई विकल्प नहीं है.’ उन्होंने कहा, ‘भारत और पाकिस्तान की नयी पीढ़ी एक ऐसे संबंध से रूबरू होगी, जो उन संबंधों से बिल्कुल अलग होगी जिसका हमने पांच दशक तक अनुभव किया है.’ पाकिस्तान की सबसे युवा और पहली विदेश मंत्री खार ने कहा कि उन्हें मतभेदों को दूर करने और सहमति बनाने के लिए हरंसभव प्रयास करना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘यह महत्वपूर्ण है कि बतौर एक जिम्मेदार राष्ट्र हम अपने मामलों की जवाबदेही लेते हैं. हाल के महीनों में हमने दोनों देशों में विभिन्न स्तरों पर संवादों में तेजी देखी है.’
संयुक्त बयान के अनुसार मंत्रियों ने वार्ता प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के महत्व को एक बार फिर स्वीकारा और माना कि रचनात्मक और परिणामोन्मुख सहयोग से सभी लंबित मुद्दों का शांतिपूर्ण हल निकाला जा सकता है और दोनों देशों के बीच मैत्रीपूर्ण, सहयोगपरक एवं अच्छे पड़ोसी के रिश्ते कायम किए जा सकते हैं.
उन्होंने दोनों देशों के बीच विश्वास एवं परस्पर लाभप्रद सहयोग के संबंध स्थापित करने के लिए सतत प्रयास की आवश्यकता पर भी बल दिया जो दोनों देशों की जनता के इस संकल्प के अनुरूप हो कि आतंकवाद का खात्मा हो तथा शांति एवं विकास की आकांक्षा साकार हो. कृष्णा और खार इस बात पर भी सहमत थे कि आतंकवाद शांति और सुरक्षा के लिए खतरा बना हुआ है. दोनों नेताओं ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई तथा सभी प्रकार के आतंकवाद के खात्मे के प्रति दोनों देशों के ठोस और मजबूत संकल्प को दोहराया.
बयान में कहा गया है, ‘दोनों पक्ष आतंकवाद निरोध पर सहयोग मजबूत करने की आवश्यकता पर सहमत हुए जिसमें आतंकवाद के दोषी लोगों को इंसाफ के कटघरे में लाने के लिए संबंधित विभागों एवं एजेंसियों के बीच सहयोग भी शामिल है.’ दोनों पक्ष इस बात से संतुष्ट थे कि इस साल के प्रांरभ से वार्ता की बहाली के बाद से दोनों देश के कैदियों एवं मछुआरों की रिहाई की प्रक्रिया जारी है. विश्वास बहाली के उपायों पर बयान कहता है कि कार्यबल इस ख्याल के साथ व्यापार सूची की समीक्षा करेगा कि जम्मू-कश्मीर एवं नियंत्रण रेखा के पार और वस्तुओं का व्यापार हो.
बयान में कहा गया है, ‘व्यापार विनिमय के लिए सप्ताह में दो के बजाय बढ़ाकर चार किए गए दिन यथावत् रहेंगे. श्रीनगर-मुजफ्फराबाद और पुंछ-रावलकोट मार्गों पर मंगलवार, बुधवार, बृहस्पतिवार तथा शुक्रवार को :सामानों से लदे: ट्रकों की आवाजाही होगी.’
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