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भारत-पाक विदेश सचिव वार्ता: उठा 26/11 का मुद्दा

शांति और सुरक्षा के मुद्दे पर हुई भारत-पाकिस्तान विदेश सचिव स्तरीय वार्ता के पहले दौर के तहत आतंकवाद और मुंबई हमला मामले की सुनवाई की धीमी गति से जुड़ी भारत की चिंताओं पर चर्चा की गयी.

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शांति और सुरक्षा के मुद्दे पर हुई भारत-पाकिस्तान विदेश सचिव स्तरीय वार्ता के पहले दौर के तहत आतंकवाद और मुंबई हमला मामले की सुनवाई की धीमी गति से जुड़ी भारत की चिंताओं पर चर्चा की गयी. इस बातचीत के दौरान दोनों पक्षों ने दूरगामी दृष्टिकोण के साथ वास्तविक मुद्दों पर चर्चा की.

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गुरुवार सुबह इस्‍लामाबाद पहुंचीं विदेश सचिव निरूपमा राव और उनके पाकिस्तानी समकक्ष सलमान बशीर के बीच पहले दौर की बातचीत शुरू हुई. इस बातचीत को शांति और सुरक्षा के साथ ही आपसी भरोसे में इजाफा करने के उपायों के तीन विषयों में विभाजित किया गया है. इन पर पहले सत्र में चर्चा हुई. शुक्रवार को जम्मू कश्मीर मैत्रीपूर्ण आदान प्रदान प्रोत्साहन पर चर्चा होगी.

विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता विष्णु प्रकाश ने कहा, ‘शांति और सुरक्षा से जुड़े सभी पहलुओं पर चर्चा की गयी. आतंकवाद एक ऐसा मसला है जो दोनों देशों के समक्ष मौजूद है और निश्चित तौर पर शांति तथा सुरक्षा से काफी ज्यादा संबंधित है.’

पाकिस्तान के विदेश विभाग की प्रवक्ता तहमीना जांजुआ ने कहा, ‘उन्होंने (दोनों विदेश सचिवों ने) दोनों देशों के बीच मौजूद आपसी भरोसे में इजाफा करने के उपायों सहित शांति और सुरक्षा से संबंधित सभी मुद्दों पर विचारों का आदान प्रदान किया. कई तरह के विचारों पर चर्चा हुई और गहन तरीके से उनके बारे में सोचा गया. बातचीत वास्तविक मुद्दों पर काफी सौहार्दपूर्ण माहौल में दूरगामी दृष्टिकोण के साथ हुई.’

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खासकर यह पूछे जाने पर कि क्या मुंबई के आतंकवादी हमले और समझौता ट्रेन में हुए विस्फोट के मामले की सुनवाई पर चर्चा हुई, तो अधिकारियों ने कहा कि शांति और सुरक्षा से संबंधित सभी पहलुओं और मुद्दों पर चर्चा की गयी.

प्रकाश ने कहा, ‘आतंकवाद सहित शांति और सुरक्षा के उन सभी मुद्दों पर चर्चा की गयी जो दोनों देशों के लिये प्रासंगिक हैं.’ दोनों पक्षों ने पारंपरिक और परमाणु हथियारों के संबंध में आपसी भरोसे में इजाफे के मौजूदा उपायों की समीक्षा की. आपसी भरोसे में इजाफे के दो उपाय हैं. पहला मिसाइल अधिसूचना से संबंधित है और दूसरा, परमाणु प्रतिष्ठानों की सूची के आदान-प्रदान से जुड़ा है.

जांजुआ ने कहा कि बातचीत के दौरान लहजा और रुख सकारात्मक रहा. इस बातचीत में सभी पहलुओं के साथ ही आईएसआई के आतंकवादियों के साथ रिश्तों से जुड़े खुलासों पर भी चर्चा हुई. शिकागो की अदालत में पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक तहव्वुर राणा के मुकदमे की सुनवाई के दौरान ये खुलासे हुए थे. सुनवाई के दौरान सह-आरोपी डेविड हेडली ने खुलासा किया कि उसने मुंबई हमलों का षड्यंत्र रचने के लिये पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी से प्रशिक्षण हासिल किया था.

दोनों पक्षों ने पहले सीमित बातचीत की, जिसके बाद प्रतिनिधिमंडल स्तरीय बैठक हुई. इसमें निरुपमा के साथ संयुक्त सचिव (पाकिस्तान-अफगानिस्तान-ईरान) यश सिन्हा, संयुक्त सचिव (परमाणु निरस्त्रीकरण) वेंकटेश वर्मा, भारत के उच्चायुक्त शरत सभरवाल और अन्य अधिकारी शामिल रहे. पहला दौर शुरू होते ही बशीर ने कहा कि हम न सिर्फ तय रास्तों पर आपके साथ चलते हुए आपसे संवाद करना चाहते हैं, बल्कि नये आयाम भी तलाशना चाहते हैं.

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उन्होंने कहा, ‘बैठकों का यह सिलसिला काफी अहमियत रखता है.’ वर्ष 2007 में समझौता एक्सप्रेस ट्रेन में हुए बम विस्फोट में करीब 70 लोगों की मौत हो गयी थी. इनमें 42 पाकिस्तानी शामिल थे. इस्लामाबाद पहुंचने के बाद निरूपमा ने कहा कि वह खुले नजरिये और सकारात्मक भावना के साथ पाकिस्तान आयी हैं ताकि द्विपक्षीय संबंधों में विश्वास बढ़ाने और इसके नतीजतन संबंधों को सामान्य बनाने की दिशा में काम किया जा सके.

विदेश सचिव ने कहा कि यह एक अहम यात्रा है क्योंकि पाकिस्तान के विदेश मंत्री की जुलाई 2011 में होने वाली भारत यात्रा से पहले यह बैठक हो रही है. उन्होंने कहा कि वे दोनों अपने-अपने नेतृत्व द्वारा बातचीत के लिए बताये गये मुद्दों पर चर्चा करेंगे. दो दिन की वार्ता के दौरान पारंपरिक और परमाणु विश्वास बहाली के उपायों पर भी चर्चा होगी.

इस साल की शुरुआत में दोनों देशों ने समग्र वार्ता के तहत सारे द्विपक्षीय मुद्दों पर फिर से बातचीत शुरू की. मुंबई आतंकी हमलों के बाद बातचीत दो साल तक थमी हुई थी. फरवरी में बातचीत शुरू होने के बाद पिछले कुछ महीनों में रक्षा, आंतरिक और वाणिज्य सचिवों के बीच बातचीत बहाली हुई.

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने मार्च में भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट विश्व कप का सेमीफाइनल मैच देखने के लिए भारत यात्रा की थी. इससे पहले, पाकिस्तान की विदेश राज्य मंत्री हिना रब्बानी ने कहा कि पाकिस्तान विदेश सचिव स्तरीय वार्ता में भारत के साथ प्रगति हासिल करने को लेकर आशान्वित है. उन्होंने उम्मीद जतायी कि दोनों देश यथास्थिति वाले दौर में नहीं फंसे रहेंगे.

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रब्बानी ने संवाददाताओं से कहा कि जब आपके समक्ष लंबित मुद्दे होते हैं तो इसके साथ जिम्मेदारी और गंभीर दृष्टिकोण अपनाने की बड़ी भावना आ जाती है. पाकिस्तान का निरंतर यही रुख रहा है कि बातचीत नहीं करने से बेहतर बातचीत करना है.

हिना ने कहा, ‘लंबित मुद्दों में कटुता आने देने, उन्हें बड़ा बनने देने और क्षेत्र की शांति तथा विकास को प्रभावित होने देने से बेहतर है कि ऐसे मुद्दों का हल निकाला जाये.’ इसी के साथ उन्होंने आगाह किया कि किसी को भी इस बातचीत के जरिये चमत्कार की अपेक्षा नहीं करनी चाहिये क्योंकि दोनों देशों के बीच लंबित मुद्दे हैं.

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