प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने असैन्य परमाणु सहयोग समझौते के तहत भारत को दी जाने वाली परमाणु सामग्री अथवा उपकरणों के किसी ‘अनचाहे उद्देश्य’ के लिए इस्तेमाल किए जाने की संभावना से इनकार किया.
सिंह ने कहा, ‘‘भारत को दी जाने वाली सामग्री की अन्तरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के साथ हुए समझौते के अनुसार हिफाजत की जाएगी. हमारे पास निर्यात नियंत्रण की सटीक प्रणाली है. ’’ कनाडा के साथ असैन्य परमाणु सहयोग करार पर दस्तख़त करने के बाद प्रधानमंत्री ने कनाडा के प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘हमारा पूरा असैन्य नियंत्रण है और इस बात की कोई गुंजाइश नहीं है कि भारत को दी जाने वाली परमाणु सामग्री अथवा उपकरणों का किसी अनचाहे उद्देश्य के लिए इस्तेमाल किया जाएगा.’’ उनसे पूछा गया था कि क्या भारत के पास इस बात की पर्याप्त निगरानी व्यवस्था है कि इस तरह के समझौतों के तहत देश में आने वाली परमाणु सामग्री का इस्तेमाल किसी हथियार कार्यक्रम के लिए न किया जाए.{mospagebreak}भारत अब तक अमेरिका, फ्रांस और रूस सहित आठ देशों के साथ असैन्य परमाणु करार कर चुका है. सवालों का जवाब देते हुए हार्पर ने कहा कि 1971 में पोखरण 1 और 1998 में पोखरण 2 परमाणु परीक्षणों के बाद कनाडा ने भारत पर प्रतिबंध लगा दिए थे, लेकिन वह अतीत की बात है.
हार्पर ने कहा, ‘‘परमाणु सहयोग के संबंध में हमें वह तमाम वजहें मिल गई हैं, जिनकी हमें दरकार थी. यह एक अच्छा समझौता है. हमें कहीं ज्यादा जरूरी कारण मिल गए हैं क्योंकि हम 1970 के दशक के अतीत में नहीं जी सकते.’’ उन्होंने कहा कि भारत एक शक्तिशाली देश है, जो दुनिया में अहम किरदार निभाने वाला है.
कनाडा के प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हम न सिर्फ अपने उद्योग की भलाई के लिए सहयोग विकसित करना चाहते हैं, बल्कि यह समझौता हमारी दोस्ती का प्रतीक भी है.’’