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बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व दशहरा धूमधाम से सम्पन्न

बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक पर्व दशहरा देश भर में धूमधाम से सम्पन्न हो गया. इस अवसर देशभर में बुराई के प्रतीक रावण के पुतले का दहन किया गया.

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बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक पर्व दशहरा देश भर में धूमधाम से सम्पन्न हो गया. इस अवसर देशभर में बुराई के प्रतीक रावण के पुतले का दहन किया गया.

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राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एवं उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने देश वासियों को दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएं दीं. दशहरे के दिन देवी दुर्गा की मूर्तियों का विसर्जन भी किया गया. विश्व प्रसिद्ध कुल्लू एवं मैसूर के दशहरा महोत्सव में भी लोगों ने जमकर लुत्फ उठाया.

पूरी दिल्ली में बुधवार को रावण, कुंभकर्ण एवं मेघनाद के पुतले का दहन किया गया. पुतला दहन के समय आकर्षक आतिशबाजियों ने लोगों का मन मोह लिया.

प्रमुख समारोह लाल किला के निकट सुभाष पार्क में आयोजित किया गया, जहां राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एवं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी सहित कई गणमान्य हस्तियों ने दिल्ली के सुभाष पार्क में आयोजित दशहरा महोत्सव में हिस्सा लिया.

दिल्ली के उप राज्यपाल तेजिंदर खन्ना, मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और केंद्रीय मंत्री एवं स्थानीय सांसद कपिल सिब्बल, कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी भी लाल किले के निकट श्री धार्मिक लीला समिति द्वारा आयोजित इस समारोह में मौजूद थे. इस अवसर पर बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे.

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राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा, 'यह ऐसा शुभ अवसर है, जब देश के लोग महाकाव्य रामायण का अभिनय कर और बुराई पर अच्छाई की विजय पर खुशियां मनाते हैं.'

उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, झारखण्ड, छत्तीसगढ़ और राजस्थान जैसे राज्यों में भी दशहरा धूमधाम से मनाए जाने की खबर है.

नवरात्र के बाद बुधवार को देवी दुर्गा की मूर्तियों का विसर्जन भी किया गया.

मेघालय में उमखराह तथा अन्य नदियों के तटों को सजाया गया था. आयोजक शोभा यात्रा के साथ मां दुर्गा की मूर्ति के विजर्सन के लिए वहां पहुंचे. सैकड़ों ने श्रद्धालुओं ने साथ मिलकर मां दुर्गा की कई मूर्तियों को नदियों में विसर्जित किया.

एक श्रद्धालु ने कहा, 'मां दुर्गा की मूर्ति का विसर्जन उनके नौ दिनों तक मायके में रहने के बाद कैलाश पर्वत पर पति भगवान शिव के पास लौटने का प्रतीक है.'

कुल्लू में बुधवार से शुरू हुए और एक सप्ताह तक जारी रहने वाले कुल्लू दशहरा समारोह के दिन 220 से ज्यादा देवता इकट्ठे हुए हैं.

हिमाचल प्रदेश की राज्यपाल उर्मिला सिह ने बुधवार को समारोह का उद्घाटन किया और वह भगवान रघुनाथ की पालकी के आगमन की साक्षी बनीं.

देश के अन्य हिस्सों की तरह यहां दशहरा के अवसर पर रावण, मेघनाद व कुम्भकरण के पुतले नहीं जलाए जाते. कुल्लू घाटी को देवभूमि के नाम से जाना जाता है.

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पश्चिम बंगाल में बुधवार को विजयादशमी के अवसर पर लोगों ने मां दुर्गा को भावुक विदाई दी. दुर्गा की प्रतिमाओं को तालाबों, झीलों और नदियों में विसर्जित कर दिया गया.

प्रतिमाओं के विसर्जन के साथ ही चार दिवसीय नवरात्र उत्सव का समापन हो गया. श्रद्धालुओं ने ढाक की धुनों के बीच दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती, गणेश व कार्तिक की प्रतिमाओं की शोभा यात्रा निकाली और फिर उनका विसर्जन कर दिया.

गंगा तटों पर और तालाबों, झीलों पर त्योहार के जैसा माहौल दिखाई दे रहा था. भक्तों ने ढाक की धुनों के बीच मूर्तियां विसर्जित कीं. बच्चों, युवाओं व बुजुर्गो ने संयुक्त रूप से विसर्जन में हिस्सा लिया.

बुधवार की सुबह महिलाओं ने शोभा यात्रा से पहले मूर्तियों व एक-दूसरे को सिंदूर लगाया. उन्होंने देवी के आगे अपने परिवारों के लिए प्रार्थना की.

केरल में विजय दशमी के दिन को विद्यारम्भ का दिन माना जाता है. इस दिन बच्चों को पहली बार अक्षरज्ञान कराया गया.

कर्नाटक के मैसूर में परंपरागत ढंग से मनाया गया. चार सौ वर्ष पुरानी परंपरा के अनुसार मैसूर की सड़कों पर भव्य शोभायात्रा निकाली गई. कर्नाटक के मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार ने हाथी की सवारी शुरू होने से पहले मैसूर राजमहल में नंदीध्वज की पूजा अर्चना की.

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