भारत ने 19 वर्ष के अंतराल के बाद दो साल के कार्यकाल के लिये नये अस्थाई सदस्य के तौर पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में औपचारिक तौर पर अपनी जगह बना ली और इसके बाद भारत का संयुक्त राष्ट्र सुधार एजेंडा आगे बढ़ने की उम्मीद है.
भारत के साथ जर्मनी, दक्षिण अफ्रीका, कोलंबिया और पुर्तगाल भी संयुक्त राष्ट्र की 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद में शामिल हुये हैं.
उभरती राजनीतिक और आर्थिक शक्ति के रूप में भारत अपने दो वर्ष के कार्यकाल में इस साल अगस्त में और फिर अगले साल संभवत: नवंबर में शक्ति संपन्न सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष बनेगा.
भारत को अपने कार्यकाल में परिषद की दो प्रमुख आतंकवाद रोधी समितियों में से किसी एक के नेतृत्व की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है.
न्यूयार्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में इस संबंध में बातचीत से जुड़े राजनयिक सूत्रों ने बताया कि भारत से आतंकवाद रोधी दो प्रमुख समितियों में से एक की जिम्मेदारी संभालने का अनुरोध किए जाने के बारे में बातचीत अंतिम चरण में है.
भारत के साथ अन्य उभरते देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार के लिये प्रयासरत हैं जिससे वर्तमान समय की दुनिया का वास्तविक प्रतिबिंब नजर आ सके.
परिषद में नये स्थाई सदस्यों को शामिल करने की मांग करते हुये समूह चार के देशों (जर्मनी, जापान, दक्षिण अफ्रीका और भारत) ने विस्तार के प्रयास के लिये हाथ मिलाया है.
जापान को छोड़कर अन्य तीनों देश सुरक्षा परिषद में बतौर अस्थाई सदस्य जगह बना चुके हैं और अब उनके द्वारा संयुक्त रूप में अपने एजेंडे को आगे बढ़ाए जाने की उम्मीद है.
विश्व निकाय में भारत के शीर्ष राजनयिक ने कहा कि 19 साल के अंतराल के बाद सुरक्षा परिषद में पहुंचने वाले भारत के लिये आतंकवाद रोधी, संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों और मानवाधिकारों से संबंधित मुद्दे प्राथमिकताओं में रहेंगे.
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि हरदीप सिंह पुरी ने कहा, ‘आतंकवाद का मुद्दा हमारी प्रमुख चिंताओं में से एक है. मुझे उम्मीद है कि आगामी महीनों में हम परिषद के काम के जरिये इस मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करेंगे।’’ पुरी ने कहा कि भारत सुरक्षा परिषद की दो समितियों 1267 और 1373 समिति में प्रमुख भूमिका निभाने के लिये तैयार है.
{mospagebreak} सुरक्षा परिषद की 1267 समिति दरअसल प्रतिबंध समिति है जो अलकायदा, तालिबान सहित इस तरह के संगठनों तथा इन संगठनों से जुड़े लोगों पर नजर रखती है. नई दिल्ली की ओर से 1267 समिति के जरिये भारत के हितों को ध्यान में रखकर कदम उठाए जाएंगे. इस समिति में फिलहाल एक सीट रिक्त है जो आस्ट्रिया ने खाली की है.
सुरक्षा परिषद की 1373 समिति आतंकवाद रोधी और इसके वित्तीय मामलों से संबंधित है. इस समिति में एक सीट रिक्त है जो तुर्की ने खाली की है.
राजदूत पुरी ने कहा कि भारत से इसमें सक्रिय भूमिका निभाए जाने की उम्मीद की जा सकती है और यह समिति आतंकवाद रोधी जैसे मुद्दों से संबंधित है.
पुरी ने कहा, ‘मैं यह नहीं कह रहा हूं कि हम तुरंत ही इन मुद्दों पर परिषद में काम करना शुरू कर देंगे लेकिन आगामी महीनों में हम इसे ज्यादा प्राथमिकता देंगे.’
यूएनएससी में अपने दो वर्ष के कार्यकाल के दौरान आतंकवाद रोधी कार्य तो भारत की प्राथमिकता में होगा ही, साथ ही नई दिल्ली का फिलहाल पूरा ध्यान सुरक्षा परिषद के वर्तमान एजेंडे पर होगा जिसका 65 से 70 प्रतिशत हिस्सा अफ्रीका से संबंधित है. सुरक्षा परिषद में इस महीने छह जनवरी को प्रस्तावित बैठक में सूडान पर चर्चा होगी.
पुरी ने कहा कि आतंकवाद के अलावा शांति अभियान सहित कई अन्य मुद्दे भी हैं जिन पर चर्चा में भारत अपने हितों को ध्यान में रखते हुये हिस्सा लेगा. भारत संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों में प्रमुख सहयोगी है. पुरी ने कहा, ‘हमने सभी प्रमुख शांति अभियानों में हिस्सा लिया है.’ सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता इसके सदस्यों के नामों के अंग्रेजी के अक्षर के क्रम में दी जाती है। वर्ष 1950 में भारत ने पहली बार सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता हासिल की थी.
पन्द्रह सदस्यीय सुरक्षा परिषद में पांच स्थाई सदस्य हैं जिनके पास वीटो शक्ति है जबकि 10 अन्य अस्थाई सदस्य हैं जिनमें से आधे सदस्यों का चुनाव हर दूसरे वर्ष दो साल के लिये होता है.
भारत वर्तमान कार्यकाल से पहले अब तक 1950-51, 1967-68, 1972-73, 1977-78, 1984-85, 1991-92 में सुरक्षा परिषद में पहुंच चुका है.