राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील ने बुधवार को कहा कि देश प्रशासन में अधिक से अधिक जवाबदेही के लिए प्रतिबद्ध है और वह भ्रष्टाचार के प्रति 'शून्य सहिष्णुता' की नीति का अनुसरण करता है.
आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन और एशियाई विकास बैंक (एडीबी-ओईसीडी) के सातवें क्षेत्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, ‘हम प्रशासन में अधिक से अधिक पारदर्शिता एवं जवाबदेही तय करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. हम भ्रष्टाचार के प्रति शून्य सहिष्णुता नहीं की नीति का भी अनुसरण करते हैं.’
गौरतलब है कि एशिया-प्रशांत के देशों ने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में सहयोग की इस पहल की शुरुआत की है. इस क्रम में भ्रष्टाचार निरोधी पहला क्षेत्रीय सम्मेलन वर्ष 1999 में आयोजित हुआ. इस सम्मेलन का आयोजन प्रत्येक दो से तीन साल के अंतराल पर किया जाता है और इस बार भारत इस समारोह की मेजबानी कर रहा है.
पाटील ने कहा कि भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए बहुआयामी तरीके की जरूरत होगी क्योंकि इसके कई रूप हैं.
उन्होंने कहा, ‘सरकारों को लगातार इसकी निगरानी करनी होगी और अपनी प्रभावशीलता बनाए रखने के लिए मौजूदा कानूनों, व्यवस्थाओं और प्रक्रियाओं की समीक्षा करनी होगी.’
पाटील ने कहा कि भ्रष्टाचार से लड़ने में संस्थाओं को मजबूत बनाने, कमियों को दूर करने और कानूनों को सख्ती से लागू करने की जरूरत है.
राष्ट्रपति ने कहा, ‘भ्रष्टाचार के कैंसर को जड़ से मिटाने के लिए सभी सम्बंधित संस्थाओं को मिलकर काम करना होगा. मेरा मानना है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई भी लड़ाई व्यक्तिगत व्यवहार के साथ-साथ सामाजिक मानदंडों को देखे जाने की भी मांग करती है.’
उन्होंने कहा, ‘केवल कानून बना देना ही काफी नहीं है. भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए शिक्षा, जागरूकता और नैतिक उत्थान की जरूरत है.’
पाटील ने कहा कि सार्वजनिक सेवाओं में भ्रष्टाचार से लड़ने और उसके रोक के लिए भारत के पास एक विस्तृत कानूनी और संस्थागत ढांचा मौजूद है. एक प्रभावी लोकपाल विधेयक अथवा लोकायुक्त कानून बनाने पर संसद काम भी कर रही है. इसके अलावा संसद न्यायिक जवाबदेही विधेयक-2011 को पेश करने वाली है.
उल्लेखनीय है कि ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल ने वर्ष 2010 के 178 भ्रष्ट देशों की जो सूची बनाई है उसमें भारत का स्थान 87वां है.