उच्च स्तर पर कई तरह के घोटालों के बीच कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शुक्रवार को कहा कि ‘रिश्वत और लालच’ बढ़ रहा है, जिससे देश के वह सिद्धांत खतरे में हैं, जिनके दम पर देश को आजादी मिली थी.
उन्होंने अधिक कारगर और कुशल सरकार की जरूरत पर जोर दिया. सामाजिक लोकतंत्र की बात करते हुए सोनिया ने कहा कि आर्थिक वृद्धि की ऊंची दर ही अपने आप में सब कुछ नहीं है क्योंकि हमारा नैतिक आधार सिकुड़ता दिखाई दे रहा है.
उन्होंने कहा कि वह वादे करने और उन्हें निभाने के बीच बढ़ती दूरी से चिंतित हैं. उन्होंने जोर देकर कहा कि देश में कई स्तरों पर जन सेवाओं के कुशल निष्पादन के लिए अपनी वित्तीय और प्रबंधकीय क्षमताओं में वृद्धि करना जरूरी है. सोनिया गांधी ने 10वें इंदिरा गांधी सम्मेलन में कहा, ‘किसी भी लोकतांत्रिक समाज में ईमानदारी जरूरी है. अगर व्यवस्था को बनाए रखना है तो जनता को उसकी ईमानदारी पर भरोसा होना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘हमें अपनी आर्थिक वृद्धि की ऊंची दर का जश्न मनाने का हक है, लेकिन हमें उसे बनाए रखने के लिए भी हरसंभव प्रयास करना होगा. हालांकि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि वृद्धि ही अपने आप में सब कुछ नहीं है. मेरे लिए यह ज्यादा जरूरी है कि हम कैसा समाज बनाना चाहते हैं और उसके निर्माण का आधार कौन से मूल्य होंगे.’
सोनिया ने कहा, ‘देश की अर्थव्यवस्था भले ही तेजी से विस्तार कर रही है, लेकिन हमारा नैतिक आधार सिकुड़ता दिखाई दे रहा है. रिश्वत और लालच बढ़ रहा है. जिन सिद्धांतों के आधार पर देश की आजादी की नींव रखी गई थी, जिसके लिए देश के महान नेताओं की एक पूरी पीढ़ी ने संघर्ष किया और अपना सब कुछ बलिदान कर दिया, वही सिद्धांत आज खतरे में हैं.
सोनिया की यह टिप्पणी अपने आप में महत्वपूर्ण है क्योंकि यह 2 जी स्पैक्ट्रम घोटाला, राष्ट्रमंडल आयोजन भ्रष्टाचार और मुंबई के आदर्श हाउसिंग सोसायटी घोटाले जैसे कई घोटालों के बीच आई है, जिनमें कांग्रेस और उसके सहयोगी डीएमके के वरिष्ठ नेता आरोपों के घेरे में हैं.