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संरा सुरक्षा परिषद में भारत की प्राथमिकता आतंकवाद से मुकाबला

भारत 19 साल के अंतराल के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में दो वर्ष के कार्यकाल के लिये बतौर अस्थाई सदस्य शामिल हो गया है. भारत की प्राथमिकताएं आतंकवाद से मुकाबला, शांति बहाली और मानवाधिकार जैसे मुद्दे होंगे.

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भारत 19 साल के अंतराल के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में दो वर्ष के कार्यकाल के लिये बतौर अस्थाई सदस्य शामिल हो गया है. भारत की प्राथमिकताएं आतंकवाद से मुकाबला, शांति बहाली और मानवाधिकार जैसे मुद्दे होंगे.

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संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत हरदीप सिंह पुरी ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता आतंकवाद का मुद्दा है. मुझे उम्मीद है कि आने वाले महीनों में हम, सुरक्षा परिषद के काम के जरिये इसका समाधान जरूर कर लेंगे.’’ उन्होंने कहा कि भारत सुरक्षा परिषद की दो समितियों-1267 और 1373 में अहम भूमिका निभाने की तैयारी करेगा.

समिति 1267 सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध समिति है, जिसका संबंध अलकायदा और तालिबान तथा इससे जुड़े लोगों और समूहों पर प्रतिबंध लगाने से है. इस समिति में केवल एक सीट रिक्त है, जो आस्ट्रिया की अस्थायी सदस्यता खत्म होने से खाली हुई है.

समिति 1373 सुरक्षा परिषद की वह समिति है, जिसका संबंध आतंकवाद से मुकाबले तथा इसके लिए वित्त व्यवस्था से है. इस समिति में तुर्की की अस्थायी सदस्यता खत्म होने से एक सीट खाली हुई है.

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{mospagebreak}उन्होंने कहा, ‘‘मैं यह नहीं कह रहा हूं कि हम परिषद में काम शुरू करते ही कुछ कर लेंगे. लेकिन आने वाले महीनों में हम इन मुद्दों को सर्वोच्च प्राथमिकता देंगे.’’ भारत को अस्थाई सदस्यता मिलने के बाद उम्मीद की जा सकती है कि इस शक्तिसंपन्न समूह में जगह बनाने के साथ ही भारत न केवल प्रमुख वैश्विक भूमिका निभाएगा, बल्कि इससे उसका स्थाई सदस्यता हासिल करने का रास्ता भी साफ होगा.

एक जनवरी से जर्मनी, पुर्तगाल, दक्षिण अफ्रीका और कोलंबिया के साथ भारत इस 15 सदस्यीय निकाय का पांचवां अस्थाई सदस्य बन गया है. अब प्रमुख वैश्विक मुद्दों पर भारत के रवैये पर संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों के अलावा समूह के पांच स्थायी सदस्य देशों की भी नजर रहेगी. अमेरिका भी नई दिल्ली के रुख पर गौर करेगा और ईरान जैसे बड़े मुद्दों पर उसका समर्थन हासिल करना चाहेगा. अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा पहले ही भारत के सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता के दावे का समर्थन कर चुके हैं.

पुरी ने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि हमें इस बात पर कोई दिक्कत नहीं होगी कि हमारे हित कहां ठहरते हैं और पश्चिम सहित स्थाई सदस्यों के हित कहां ठहरते हैं. दरअसल मेरा मानना है कि हम इनमें से कई मुद्दों पर उनके साथ एक ही ओर खडे हैं.’’

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इस शीर्ष राजनयिक ने कहा कि समूह 77 के देशों और गुटनिरपेक्ष देशों के बाद इस नये समूह में शामिल होने के बावजूद भारत को ‘बड़े सावर्जनिक हितों’ के लिये योगदान करने के लिये कदम उठाने से कोई नहीं रोकेगा.

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