आतंकवाद से मुक्त एशिया की पैरवी करते हुए भारत ने फिर से दो टूक शब्दों में कहा कि दहशतगर्दी की पनाहगाहें पूरे क्षेत्र के लिए ‘जहर’ हैं, जिनका सफाया होना चाहिए.
शंघाई सहयोग परिषद (एससीओ) के 11वें शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस एम कृष्णा ने कहा कि सार्थक रवैये से ही आतंकवाद के रास्तों को खत्म किया जा सकता है. उन्होंने एससीओ के आतंकवाद विरोधी ढांचे (रैट्स) से बड़े पैमाने पर जुड़ने की भारत की इच्छा का भी उल्लेख किया.
सम्मेलन में कृष्णा ने कहा, ‘आतंकवाद और कट्टरपंथ सीमाओं का सम्मान नहीं करते. भारत भी इस बुराई से पीड़ित है. यह न सिर्फ लोगों की जिंदगी, बल्कि हमारी आर्थिक एवं सामाजिक तरक्की के लिए खतरा है.’ एससीओ में चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं.
कृष्णा ने कहा, ‘भारत चाहता है कि एससीओ से जुड़ा क्षेत्र आतंकवाद और आतंकवाद की पनाहगाहों से मुक्त हो. यहां आतंकवाद का कोई ढांचा नहीं होना चाहिए जो पूरे क्षेत्र को विषैला करता है.’ इस मौके पर विदेश ने पाकिस्तान का नाम नहीं लिया, लेकिन उनका इशारा स्पष्ट तौर पर इस्लामाबाद की ओर था.
उन्होंने कहा, ‘आतंकवाद के खिलाफ क्षेत्रीय सहयोग कुछ देशों की ओर से उठाए गए कदमों को सहयोग देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.’ कृष्णा ने कहा, ‘हम इस क्षेत्र में ‘रैट्स’ की भूमिका को महत्वपूर्ण मानते हैं जो आतंकवाद के लिए कड़ी चुनौती है. हम चाहते हैं कि भारत का इसके साथ बड़े पैमाने पर जुड़ाव हो.’
उन्होंने कहा, ‘एसीओ इस बात पर जोर देता है कि सभी देशों को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सहयोग करने चाहिए. यह एक सार्थक रवैया है जिसके जरिए इस वैश्विक चुनौती का जवाब दिया जा सकता है.’ विदेश मंत्री ने कहा कि भारत को एससीओ में बड़ी भूमिका निभाकर खुशी होगी. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में शांति स्थापित करने में एससीओ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
अफगानिस्तान में भारत की भूमिका के संदर्भ में कृष्णा ने कहा, ‘हम अपने लोगों की जान को दांव पर लगाकर अफगान दोस्तों की मदद कर रहे हैं. भारत समृद्ध अफगानिस्तान को लेकर प्रतिबद्ध है और प्रधानमंत्री ने अपने हाल के काबुल दौरे में इस प्रतिबद्धता पर जोर दिया था.’