भारत और कनाडा ने अपने द्विपक्षीय संबंधों को एक नया धरातल देते हुए सोमवार को असैन्य परमाणु सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए और हर तरह के आतंकवाद की कड़ी भर्त्सना की.
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह 16 वर्ष पूर्व यहां आए आई के गुजराल के बाद कनाडा की यात्रा करने वाले पहले भारतीय शासनाध्यक्ष हैं. उन्होंने कनाडा के प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर के साथ हुई बातचीत और प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता के बाद समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिससे कनाडा से यूरेनियम और उपकरणों के आयात के साथ ही दोनो देशों में असैन्य परमाणु उर्जा के क्षेत्र में सहयोग के रास्ते खुलेंगे.
समझौते पर भारत की तरफ से परमाणु ऊर्जा विभाग के सचिव श्रीकुमार बनर्जी ने और कनाडा के विदेश मंत्री लारेंस कैनन ने दोनो देशों के प्रधानमंत्रियों की मौजूदगी में दस्तखत किए. इस करार से परमाणु अपशिष्ट प्रबंधन और विकिरण सुरक्षा के क्षेत्रों में भी सहयोग का मार्ग प्रशस्त होगा.{mospagebreak}भारत के प्रति कनाडा के पूर्व के कड़े आचरण को देखते हुए दोनो देशों के बीच इस समझौते का खास महत्व है. 1974 और 1998 में भारत ने जब पोखरण में परमाणु परीक्षण किए थे तो कनाडा ने भारत पर प्रतिबंध लगा दिए थे.
बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि दोनों प्रधानमंत्रियों ने समझौते के अनुमोदन और इसका शीघ्र कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए जरूरी तमाम कदम उठाने के प्रति वचनबद्धता जताई. उन्होंने दोनों देशों के लिए लाभदायक असैन्य परमाणु सहयोग और व्यापार की संभावनाओं पर प्रकाश डाला.
दोनों प्रधानमंत्रियों ने एयर इंडिया की उड़ान संख्या 182 के विमान ‘कनिष्क’ में 23 जून 1985 को हुए विस्फोट की घटना के 25 वर्ष पूरे होने पर संवेदना जताई. कुछ दिन पहले ही कनाडा के प्रधानमंत्री ने सरकार की ‘संस्थागत असफलताओं’ के लिए हादसे में मारे गए लोगों के परिवारों से माफी मांगी थी और मुआवजे का वादा किया था.{mospagebreak}मीडिया के साथ बातचीत ने प्रधानमंत्री ने कनिष्क हादसे के 25 वर्ष पूरे होने के मौके पर कनाडा की यात्रा करने के संयोग का जिक्र किया था. उन्होंने कहा था, ‘‘यह भयावह हादसा और इससे हुई तकलीफ हमें हमेशा इस बात की याद दिलाती रहेगी कि हमें आतंकवाद की लानत को खत्म करने के लिए मिलकर काम करना है. इस हादसे के शिकार लोगों को पूर्ण न्याय मिलना चाहिए. ’’
हार्पर के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में सिंह ने कहा कि दोनों देशों के बीच हुए इस असैन्य परमाणु सहयोग समझौते से इस क्षेत्र में द्विपक्षीय संबंधों के इतिहास के नये धरातल बनेंगे. उन्होंने कहा, ‘‘यह अन्तरराष्ट्रीय वास्तविकताओं में परिवर्तन को प्रतिबिंबित करता है और परमाणु प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में परस्पर लाभदायक सहयोग के नये रास्ते खोलेगा.’’{mospagebreak}दोनों नेताओं ने संयुक्त बयान में हर तरह के आतंकवाद और उसे व्यक्त करने के तरीकों की कड़ी भर्त्सना की और इस बात पर सहमति जताई कि वह अपने अपने देश की सरकारों को आतंकवाद निरोधक और सुरक्षा संबंधी मामलों में सहयोग का निर्देश देंगे. अन्तरराष्ट्रीय आतंकवाद से मुकाबले में वैश्विक सहयोग बढ़ाने की जरूरत पर जोर देते हुए उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के दायरे में अन्तरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक समझौते को जल्द तैयार करने और मंजूर किए जाने का आह्वान किया.
सिंह ने कहा कि उन्होंने और हार्पर ने आज द्विपक्षीय सहयोग को एक नयी ऊर्जा और मजबूती दी.
उन्होंने कहा, ‘‘हमने अक्षय ऊर्जा, स्वच्छ प्रौद्योगिकी और ऊर्जा दक्षता की सहयोग के अन्य क्षेत्रों के रूप में पहचान की. नवगठित कनाडा-भारत ऊर्जा मंच ने अपना काम शुरू कर दिया है और उसे हमारा पूरा समर्थन है. हमने सहयोग के अन्य प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के रूप में खनन और कृषि पर ध्यान देने का फैसला किया है.’’{mospagebreak}प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि दोनों देशों ने अगले पांच वर्ष में वाषिर्क द्विपक्षीय व्यापार को 15 अरब अमेरिकी डालर तक पहुंचाने का लक्ष्य हासिल करने और निवेश के दोतरफा बहाव को बढ़ावा देने का संकल्प दोहराया.
दोनों देशों के बीच व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते की संभावनाओं का अध्ययन करने के लिए गठित संयुक्त अध्ययन दल की रिपोर्ट दोनों अर्थव्यवस्थाओं को करीब लाने में एक महत्वपूर्ण कदम है. उन्होंने कहा, ‘‘हमने अपने अधिकारियों से कहा है कि वह रिपोर्ट का अध्ययन करें और इस दिशा में अगले कदमों में तेजी लाएं.’’
सिंह ने कहा उन्हें भरोसा है कि भारत और कनाडा के बीच मजबूत भागीदारी से ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा, सतत् विकास, जलवायु परिवर्तन और आतंकवाद तथा गरीबी के खिलाफ संघर्ष जैसी वैश्विक चुनौतियों के हल निकलेंगे. उन्होंने कहा, ‘‘अंत में हम भारत और कनाडा के बीच उच्च स्तरीय वार्ता को बढ़ावा देने और इसे जारी रखने पर सहमत हुए.’’ दोनों नेताओं ने विविध गतिविधियों और संस्थागत दायरों के विस्तार का संकल्प लिया ताकि अगले पांच वर्ष के भीतर द्विपक्षीय व्यापार को 15 अरब अमेरिकी डालर तक पहुंचान के साझे उद्देश्य को पूरा किया जा सके.{mospagebreak}उन्होंने कनाडा के अन्तरराष्ट्रीय व्यापार मंत्री और भारत के वाणिज्य और उद्योग मंत्री के बीच व्यापार और निवेश पर वाषिर्क वार्तालाप के प्रति वचनबद्धता का भी ऐलान किया. उन्होंने सामाजिक सुरक्षा समझौते की बातचीत के संपन्न होने का स्वागत किया और इसपर जल्द हस्ताक्षर होने के बाद इसके अनुमोदन और कार्यान्वयन की उम्मीद जाहिर की.
बाद में हार्पर द्वारा आयोजित भोज में सिंह ने कहा, ‘‘भारत और कनाडा में बहुत कुछ समान है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम फासले के लिहाज से भले ही दूर हों, लेकिन हमारे मूल्य एक हैं. हम दोनों देश अपनी स्वतंत्रता, हमारी लोकतांत्रिक जीवन शैली, हमारे बहुलवाद और हमारी सहिष्णुता की भावना में समान हैं.’’
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 37 वर्ष पहले की कनाडा यात्रा का स्मरण करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उनका वक्तव्य दोहराया, ‘‘कनाडा की जनता ने आर्थिक तौर पर जो सफलता हासिल की है वह उसकी महानतम उपलब्धि नहीं है, बल्कि उसका मित्रों का देश होना उसकी सबसे बड़ी उपलब्धि है, जिसने भारत के साथ व्यापार बढ़ाने में रुचि दिखाई.’’{mospagebreak}सिंह ने कहा कि दूरसंचार, पर्यावरण, ऊर्जा, वित्तीय सेवाओं और परिवहन जैसे क्षेत्रों में कनाडा के निवेशक भारत का रुख कर रहे हैं. पिछले दशक में कनाडा में भारतीय निवेश दस गुना बढ़ा है. ‘‘यह अपने आप में उत्साहवर्धक संकेत हैं.’’
प्रधानमंत्री ने दुनियाभर से आने वाले लोगों का स्वागत करने और उन्हें अपने भीतर समा लेने की कनाडा की क्षमता की सराहना करते हुए याद दिलाया कि कनाडा में रहने वाले भारतीयों की संख्या इस समय तकरीबन 11 लाख है. उन्होंने कहा कि इस समुदाय ने दोनों देशों के बीच एक सेतु बांध दिया है, जो सबसे मुश्किल हालात में भी मजबूत और स्थिर बना रहा.
सिंह ने सरकार द्वारा वर्ष 2011 में कनाडा में एक वर्ष तक भारत महोत्सव आयोजित करने का ऐलान किया ताकि देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और कला को प्रदर्शित करने के साथ ही पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सके.