अमेरिका के एक शीर्ष सांसद ने कहा है कि पाकिस्तान, भारत को अभी भी अल कायदा और तालिबान से बड़ा खतरा मानता है. इसके साथ ही उन्होंने इस बात को स्वीकार किया है कि पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई के कुछ सदस्य ऐसे आतंकवादी संगठनों के साथ सहानुभूति बनाए हुए हैं.
सदन की खुफिया मामलों की स्थायी चयन समिति के अध्यक्ष माइक रोजर्स ने वाशिंगटन स्थित एक प्रमुख थिंक टैंक विदेश संबंध परिषद को संबोधित करते हुए कहा कि हम यह जानते हैं कि कुछ आईएसआई सदस्य अभी भी तालिबान और अल कायदा तथा हक्कानी नेटवर्क के प्रति सहानुभूति रखते हैं.
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान वास्तव में इस नतीजे पर नहीं पहुंचा है कि भारत की तरह तालिबान और अल कायदा भी उसके लिए खतरा हैं. उनका मानना है कि भारत उनकी समस्या है और मैं समझता हूं कि इसीलिए अमेरिका को इतना संघर्ष करना पड़ रहा है.
रोजर्स ने एक सवाल के जवाब में कहा,‘‘इसलिए वे इसे इस तरह से देखते हैं कि हम उनकी मदद करेंगे. हम उनकी मदद का प्रयास कर रहे हैं लेकिन क्या भारत पर देर से ध्यान नहीं दिया गया? यह असली समस्या है और यही वह संघर्ष है जो हमारा पाकिस्तान के साथ रहा है.
उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि अमेरिका कुछ कड़े सवाल उठाने जा रहा है. उन्होंने कहा कि हमें यह समझने की जरूरत है. हम यह समझते हैं कि अल कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन क्यों, कब और कैसे इस विशेष परिसर में पांच साल से रह रहा था. हम सभी को यह बात समझनी चाहिए.